Edited By Rahul Singh,Updated: 05 Nov, 2024 12:11 PM
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यूपी मदरसा एक्ट पर अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें उन्होंने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को बरकरार रखा है।
नैशनल डैस्क। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यूपी मदरसा एक्ट पर अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें उन्होंने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। इससे पहले, 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए सभी मदरसा छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश दिया था।
क्या है 20 साल पुराना मदरसा एक्ट?
उत्तर प्रदेश में 2004 में मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट बनाया गया था, जिसके तहत मदरसा बोर्ड का गठन किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (पारंपरिक चिकित्सा), और दर्शनशास्त्र जैसी शिक्षाओं को परिभाषित किया गया है। यूपी में लगभग 25 हजार मदरसे हैं, जिनमें से करीब 16 हजार को यूपी मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, जबकि लगभग साढ़े आठ हजार मदरसे बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं।
मदरसा बोर्ड "कामिल" के नाम से अंडर ग्रेजुएशन और "फाजिल" के नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्रदान करता है। इसके तहत "कारी" नाम से डिप्लोमा भी दिया जाता है। इसके अलावा, बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं कक्षा) और आलिम (12वीं कक्षा) के परीक्षाओं का आयोजन भी करता है।