सुप्रीम कोर्ट ने Delhi-NCR राज्यों को GRAP-4 लागू करने का दिया निर्देश, AQI नियंत्रण के लिए टीमों का हुआ गठन

Edited By Mahima,Updated: 18 Nov, 2024 04:38 PM

supreme court directs delhi ncr states to implement grap 4

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर राज्यों को GRAP-4 प्रतिबंधों को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया, यह आदेश AQI 450 से नीचे होने पर भी प्रभावी रहेगा। अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेष टीमें गठित करने और सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही,...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों को GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के चरण 4 प्रतिबंधों को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ये प्रतिबंध AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 450 से नीचे होने पर भी प्रभावी रहेंगे। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तब जारी किया जब दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आईं। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि सभी राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस लें। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों में कोई ढिलाई नहीं बरती जा सकती, खासकर तब जब प्रदूषण के स्तर को लेकर गंभीर चेतावनियां दी जा रही हों।

GRAP के तहत क्या कदम उठाए जाएंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने GRAP के चरण 4 के तहत किए जाने वाले उपायों की सूची भी बनाई। इसमे प्रमुख रूप से निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
1. सड़क निर्माण और मरम्मत के कामों पर प्रतिबंध: सड़क पर धूल मिट्टी को नियंत्रित करने के लिए कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी को सीमित किया जाएगा।
2. औद्योगिक गतिविधियों पर अंकुश: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित करने के आदेश दिए जाएंगे।
3. दीपावली और अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों पर पाबंदी: प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने वाले कार्यों पर सख्त नियंत्रण लगाया जाएगा, जैसे कि पटाखों का जलाना।
4. पार्किंग और वाहन परिवहन पर प्रतिबंध: ट्रैफिक की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, सार्वजनिक और निजी परिवहन पर कुछ सीमाएं लगाई जा सकती हैं।

AQI स्तर पर तत्काल प्रतिक्रिया का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि जैसे ही AQI 300 से 400 के बीच पहुंचे, GRAP चरण 4 को तुरंत लागू किया जाए। अदालत ने कहा कि अगर प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर (AQI 450 से ऊपर) को छूने लगे तो GRAP के उपायों को तत्काल लागू करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि किसी भी स्थिति में प्रदूषण से जुड़ी गंभीरता को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने वकील से यह भी पूछा कि GRAP के तहत इन कदमों में देरी करने का क्या कारण हो सकता है, और साथ ही यह कहा कि किसी भी प्रकार की ढिलाई से यह समस्याएं और बढ़ सकती हैं। 

टीमों का गठन और निगरानी का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के सभी राज्यों से GRAP-4 के तहत किए जाने वाले उपायों की निगरानी के लिए तत्काल कार्यबल (टीम) गठित करने का भी निर्देश दिया। यह टीमें प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन पर नज़र रखेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से यह भी कहा कि वे प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित योजनाओं को तैयार कर अदालत में अगले सुनवाई तक पेश करें। इसके साथ ही, राज्य सरकारों से यह भी कहा गया कि वे उन कदमों के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करें, जिससे नागरिकों को तत्काल मदद मिल सके।

वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए राज्य सरकारों को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे एनसीआर राज्यों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक ठोस और प्रभावी योजना तैयार करने के निर्देश दिए। यह योजना अगले कुछ दिनों में कोर्ट में पेश की जानी है, जिससे प्रदूषण से निपटने के लिए समन्वित तरीके से काम किया जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि प्रदूषण के खिलाफ कदमों में कोई भी लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए की जा रही कार्रवाइयों के प्रति नागरिकों को जागरूक करना भी जरूरी है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों से जनता को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने का आग्रह किया।

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर त्वरित और कठोर कदम उठाए जाने की उम्मीद है। कोर्ट का यह आदेश यह संकेत देता है कि प्रदूषण से संबंधित मामलों में अब किसी भी तरह की ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी और सभी संबंधित राज्य सरकारों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इस आदेश से यह भी स्पष्ट हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर अपने दायित्व को गंभीरता से लिया है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

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