Edited By Anu Malhotra,Updated: 06 Nov, 2024 11:56 AM
सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर 2024 को एक बड़े फैसले में कहा कि हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति बिना किसी विशेष अनुमोदन के 7500 किलोग्राम से कम भार वाले परिवहन वाहन को चला सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके सामने ऐसा कोई ठोस...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर 2024 को एक बड़े फैसले में कहा कि हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति बिना किसी विशेष अनुमोदन के 7500 किलोग्राम से कम भार वाले परिवहन वाहन को चला सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके सामने ऐसा कोई ठोस डेटा नहीं प्रस्तुत किया गया है जो यह सिद्ध करता हो कि LMV लाइसेंस धारक परिवहन वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं का महत्वपूर्ण कारण बन रहे हैं।
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MV Act) की सामंजस्यपूर्ण व्याख्या करते हुए मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2017) के फैसले का समर्थन किया। कोर्ट ने परिवहन वाहन चालकों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी विचार किया और इस विषय पर संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का निर्णय:
यह मामला 5 जजों की संविधान पीठ के समक्ष था, जिनमें Chief Justice of India (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। सुनवाई के दौरान, पीठ ने यह निर्णय लिया कि यदि वाहन का कुल भार 7500 किलोग्राम से कम है, तो LMV ड्राइविंग लाइसेंस धारक उस वाहन को चला सकते हैं। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में सड़क सुरक्षा से जुड़े कोई गंभीर आंकड़े या डेटा प्रस्तुत नहीं किए गए हैं, जो यह साबित करते हों कि LMV लाइसेंस धारक परिवहन वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बन रहे हैं।
इससे पहले, मुकुंद देवांगन मामले में तीन जजों की पीठ ने भी यही फैसला दिया था कि 7500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने के लिए LMV लाइसेंस धारक को अलग से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। 2022 में इस मामले को समन्वय पीठ द्वारा 5 जजों की पीठ को भेजा गया था, ताकि इस पर विस्तृत विचार किया जा सके।
सड़क सुरक्षा और आजीविका का संतुलन:
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दौरान यह भी कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकारों से विचार-विमर्श किया जा चुका है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अदालत को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 (MVA) में संबंधित संशोधनों के बारे में राज्य सरकारों से चर्चा की जा रही थी, लेकिन इस पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। न्यायालय ने इस पर विचार करते हुए मामले को गुण-दोष के आधार पर तय करने का निर्णय लिया और 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा।
इस निर्णय के बाद, LMV ड्राइविंग लाइसेंस धारक अब बिना किसी विशेष अनुमोदन के 7500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन चला सकेंगे, जिससे उनके लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा और सड़क सुरक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।