Edited By Mahima,Updated: 18 Sep, 2024 10:35 AM
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर में एक अक्टूबर तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इस आदेश के तहत 'बुलडोजर न्याय' को संविधान के खिलाफ करार दिया गया है और अवैध ध्वस्तीकरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर में एक अक्टूबर तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इस आदेश के तहत 'बुलडोजर न्याय' को संविधान के खिलाफ करार दिया गया है और अवैध ध्वस्तीकरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। अदालत ने कहा है कि अगली सुनवाई तक बिना किसी आदेश के आपराधिक मामलों के आरोपियों की निजी संपत्तियों पर ध्वस्तीकरण नहीं किया जा सकता। अगर किसी भी तरह का अवैध ध्वस्तीकरण होता है, तो यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
कहां है रोक, कहां चल सकता है बुलडोजर?
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब यह नहीं है कि बुलडोजर का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल आरोपियों की निजी संपत्तियों पर लागू होगा।
सरकारी संपत्तियों पर कार्रवाई की अनुमति
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया है या निर्माण किया है, तो उस पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की जा सकती है। अगर कोई सार्वजनिक स्थान या सरकारी संपत्ति, जैसे सड़कें, रेलवे लाइन, फुटपाथ या जलस्रोतों पर अनधिकृत ढांचा है, तो उसे ढहाने के लिए सरकार को अनुमति है। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "हम अवैध निर्माण के बीच में नहीं आएंगे।"
कब होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी। इस सुनवाई में कोर्ट बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। इससे यह उम्मीद है कि कोर्ट आगे चलकर बुलडोजर कार्रवाई की स्थिति को स्पष्ट कर सकेगा और इसके बारे में और भी निर्देश दे सकेगा।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका
इस आदेश का आधार जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल की गई याचिका है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई मामलों में कोर्ट में केस चलने के बावजूद अवैध रूप से बुलडोजर से घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि ये कार्रवाई विशेष रूप से एक धर्म के लोगों को निशाना बनाने के लिए की जा रही है।
क्या थी कोर्ट का प्रतिक्रिया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका पर आपत्ति जताई और कहा कि अधिकारियों को इस तरह से हाथ नहीं बांधना चाहिए। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि यदि याचिकाकर्ता के पास कोई ठोस उदाहरण है तो उसे पेश करें। इस पर बेंच ने कहा कि "हम किसी अवैध अतिक्रमण के बीच में नहीं आ रहे हैं, लेकिन अधिकारी जज नहीं बन सकते।"
सार्वजनिक जगहों पर अवैध निर्माण
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जगहों पर अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा, जिसमें धार्मिक ढांचे भी शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी धार्मिक ढांचे का निर्माण अवैध रूप से किया गया है, तो उसे गिराने में भी कोई रोक नहीं होगी। इससे यह संकेत मिलता है कि अदालत इस मामले में एक सख्त रुख अपनाने को तैयार है।
न्याय व्यवस्था की गरिमा
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर जारी बयान पर नाराजगी भी जताई। अदालत ने कहा कि पिछले आदेश के बाद यह बयान जारी किया गया कि "बुलडोजर चलता रहेगा," जो कि गलत है। अदालत ने कहा कि बुलडोजर न्याय की महिमामंडन करना और इसकी प्रशंसा करना गलत है। अदालत ने नेताओं से भी इस तरह के बयानों से बचने की सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय संविधान की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
यह आदेश यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन न हो, जबकि अवैध कब्जों और निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई जारी रह सके। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि कोई भी कार्रवाई कानून के अनुसार और उचित प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कानूनी प्रणाली के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिशा निर्देश है। आगे की सुनवाई में इस मामले की स्थिति और स्पष्ट होने की संभावना है, जिससे नागरिकों को कानूनी सुरक्षा और न्याय मिल सकेगा।