Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Apr, 2025 07:42 AM
सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला शराब पीने वालों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी जेब पर सीधा असर पड़ने वाला है। दरअसल, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त शराब पीने की जानकारी छुपाता है, तो...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला शराब पीने वालों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी जेब पर सीधा असर पड़ने वाला है। दरअसल, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त शराब पीने की जानकारी छुपाता है, तो इंश्योरेंस कंपनी शराब से संबंधित बीमारियों के इलाज से जुड़े दावों को रिजेक्ट कर सकती है।
यह फैसला उस मामले पर आधारित था, जिसमें एक व्यक्ति ने LIC की जीवन आरोग्य पॉलिसी लेते वक्त शराब पीने के बारे में गलत जानकारी दी थी। जब उस व्यक्ति को शराब के कारण लिवर की समस्या हुई और उसने इलाज के लिए क्लेम किया, तो इंश्योरेंस कंपनी ने उसका क्लेम रिजेक्ट कर दिया।
दरअसल, इंश्योरेंस कंपनियां शराब और तंबाकू जैसी आदतों से जुड़े मामलों में कड़ी नीति अपनाती हैं। ऐसे में अगर कोई शख्स इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त अपनी शराब पीने की लत को छुपाता है तो उसे यह महंगा पड़ने वाला है। बता दें कि इस प्रकार के व्यक्तियों से उच्च प्रीमियम भी लिया जा सकता है, क्योंकि ये आदतें स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ाती हैं। कई बार लोग इस प्रकार की आदतों को पॉलिसी में छुपाते हैं ताकि प्रीमियम कम हो सके, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद, अगर कोई व्यक्ति अपनी आदतों के बारे में गलत जानकारी देता है, तो इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे दावों को खारिज कर सकती हैं।
यह मामला LIC की जीवन आरोग्य पॉलिसी से संबंधित था, जहां पॉलिसीधारक ने शराब पीने की आदत को छिपाया था। उसकी लिवर से संबंधित समस्या के इलाज के लिए क्लेम करने पर इंश्योरेंस कंपनी ने इसे रिजेक्ट कर दिया। जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, तो कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि अगर पॉलिसी लेते समय व्यक्ति ने शराब पीने की जानकारी नहीं दी, तो कंपनी दावे को खारिज कर सकती है।