Edited By Radhika,Updated: 11 Mar, 2025 02:20 PM

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जेलों में दिव्यांग कैदियों के लिए जरूरी सुविधाएं और दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम, 2016 के सही तरीके से लागू होने को लेकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह सवाल उठाया है कि क्या देशभर की जेलों में दिव्यांग कैदियों के लिए...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जेलों में दिव्यांग कैदियों के लिए जरूरी सुविधाएं और दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम, 2016 के सही तरीके से लागू होने को लेकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह सवाल उठाया है कि क्या देशभर की जेलों में दिव्यांग कैदियों के लिए उपयुक्त सुविधाएं दी जा रही हैं। कोर्ट ने भारत संघ और अन्य के खिलाफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता सत्यन नरवूर द्वारा जारी याचिका को लेकर नोटिस जारी किया है।
SC ने केंद्र से मांगा जवाब-
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग कैदियों के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा, "नोटिस जारी किया जा रहा है, जिसका जवाब चार सप्ताह में दिया जाए।" याचिका में दिव्यांग कैदियों की अनदेखी के उदाहरण के तौर पर प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा और सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का नाम लिया गया। इसमें कहा गया कि दिव्यांग कैदियों की विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए जेल कानून में जरूरी बदलाव किए जाने चाहिए।

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा की पिछले साल अक्टूबर में हैदराबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। उन्हें माओवादी गतिविधियों के आरोप में 10 साल तक जेल में रहने के बाद बरी किया गया था। वहीं, भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए स्टेन स्वामी की 2021 में मुंबई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।
याचिका में कहा गया-
याचिका में कहा गया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 लागू हुए आठ साल हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश राज्यों की जेलों में दिव्यांग कैदियों के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे रैंप और अन्य उपायों का कोई खास प्रावधान नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि जेलों में दिव्यांग कैदियों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिलने से उनकी बुनियादी गतिशीलता प्रभावित हो रही है, जो सीधे तौर पर कानून के उल्लंघन जैसा है। इसमें दावा किया गया है कि दिव्यांग कैदी अक्सर अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं, क्योंकि उन्हें जरूरी सहायता नहीं मिलती। याचिका में कहा गया कि जेलों में दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं की कमी से उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।