Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Mar, 2025 10:51 AM

अगर आप स्वास्थ्य बीमा लेते वक्त अपनी शराब, सिगरेट या तंबाकू की आदत छुपाते हैं तो यह आपको महंगा पड़ सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय सुनाया, जिसमें यह कहा गया कि यदि बीमाधारक बीमा लेते समय अपनी शराब पीने की आदत छुपाता है, तो उसके...
नई दिल्ली: अगर आप स्वास्थ्य बीमा लेते वक्त अपनी शराब, सिगरेट या तंबाकू की आदत छुपाते हैं तो यह आपको महंगा पड़ सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय सुनाया, जिसमें यह कहा गया कि यदि बीमाधारक बीमा लेते समय अपनी शराब पीने की आदत छुपाता है, तो उसके द्वारा किए गए स्वास्थ्य बीमा के दावे को खारिज किया जा सकता है।
यह मामला एलआईसी के जीवन आरोग्य योजना से जुड़ा था, जिसमें एक व्यक्ति ने पॉलिसी के तहत इलाज का दावा किया। पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ने बीमा मुआवजा मांगा, लेकिन एलआईसी ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि पॉलिसीधारक ने बीमा लेते वक्त अपनी शराब पीने की आदत छुपाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज करने के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि पॉलिसी के आवेदन पत्र में यह स्पष्ट सवाल था कि क्या बीमाधारक शराब, सिगरेट, बीड़ी या तंबाकू का सेवन करता है, लेकिन पॉलिसीधारक ने इसका सही जवाब नहीं दिया।
इस मामले में एलआईसी ने बीमा के खंड 7(11) का हवाला दिया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि शराब या दवाओं के दुरुपयोग से संबंधित जटिलताओं का कवरेज नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि पॉलिसीधारक का शराब पीने का इतिहास मेडिकल रिकॉर्ड में मौजूद था और उसने जानबूझकर इस जानकारी को छुपाया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद जो बीमा राशि उसकी पत्नी को दी गई थी, उसे वापस नहीं लिया जाएगा। इस फैसले ने बीमाधारकों को चेतावनी दी है कि बीमा पॉलिसी लेते वक्त सभी जानकारी सच्चाई के साथ देना बेहद जरूरी है, नहीं तो भविष्य में दावा खारिज हो सकता है।