कभी उड़ान नहीं भर पाएगी Jet Airways, सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एटरलाइन के ऐसेट्स बेचने का दिया आदेश

Edited By Yaspal,Updated: 07 Nov, 2024 08:07 PM

supreme court ordered to sell the assets of closed eiterline

जेट एयरवेज ने 25 साल तक पूर्ण सेवा एयरलाइन के रूप में उड़ान भरने के बाद पांच साल पहले अप्रैल के महीने में अस्थायी रूप से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। नकदी संकट की वजह से एयरलाइन ने यह कदम उठाया था।

नई दिल्लीः जेट एयरवेज ने 25 साल तक पूर्ण सेवा एयरलाइन के रूप में उड़ान भरने के बाद पांच साल पहले अप्रैल के महीने में अस्थायी रूप से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। नकदी संकट की वजह से एयरलाइन ने यह कदम उठाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के एयरलाइन के परिसमापन के आदेश के बाद इसके फिर से उड़ान भरने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो गई है। एयरलाइन का परिचालन ठप होने के बाद से करीब 20,000 से अधिक नौकरियां जा चुकी हैं और ऋणदाताओं, विक्रेताओं और यात्रियों का हजारों करोड़ रुपये का बकाया दिवाला समाधान की प्रतीक्षा में ‘डूब' गया है।

आज सर्वोच्च अदालत ने एयरलाइन के परिसमापन का आदेश दे दिया, जिससे एयरलाइन के अस्तव्यस्त सफर का औपचारिक समापन हो गया तथा पुनरुद्धार की उम्मीदें भी चकनाचूर हो गईं। एयरलाइन की आखिरी उड़ान एस2-3502 अमृतसर से 17 अप्रैल, 2019 को रात करीब 10.30 बजे रवाना हुई और 18 अप्रैल को तड़के 12.22 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी।

जेट एयरवेज की किफायती इकाई जेटलाइट ने बोइंग 737-800 विमान के साथ उड़ानों का संचालन किया, जिसे बाद में किफायती एयरलाइन स्पाइसजेट ने पट्टे पर ले लिया। अपने परिचालन के चरम के दौरान जेट एयरवेज के पास 120 से ज़्यादा विमान थे। बढ़ते कर्ज और कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं होने के चलते जब एयरलाइन ने परिचालन बंद किया था तो उसके पास अपने खुद के 16 विमान थे। नरेश गोयल द्वारा स्थापित इस एयरलाइन ने ढाई दशक से अधिक समय तक करोड़ों यात्रियों को सेवा प्रदान की है।

गोयल ने यात्रा एजेंसी जेटएयर के साथ कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के लिए एक सामान्य बिक्री एजेंट के रूप में शुरुआत की थी। जेट एयरवेज भी भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रमुख निजी एयरलाइन में से एक थी, लेकिन वित्तीय संकट के कारण इसका पतन शुरू हो गया। एयरलाइन ने अपनी यात्रा एक एयर टैक्सी परिचालक के रूप में मुंबई से अहमदाबाद तक सेवा के साथ शुरू की थी। अपने चरम पर इसमें लगभग 1,300 पायलट समेत लगभग 20,000 कर्मचारी थे। साल 2019 में परिचालन को अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा के समय जेट एयरवेज के पास 20,000 से अधिक कर्मचारी थे। उस समय कंपनी पर बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये से अधिक बकाया था। इसके अलावा एजेंट और यात्री रिफंड के हजारों करोड़ रुपये बकाया थे।

जेट एयरवेज द्वारा 17 अप्रैल, 2019 को परिचालन बंद करने के कुछ सप्ताह बाद ऋणदाताओं ने अपना बकाया वसूलने के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया की मांग की। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 20 जून, 2019 को एयरलाइन के खिलाफ दायर दिवाला याचिका को स्वीकार कर लिया। जालान कलरॉक गठजोड़ (जेकेसी) 2021 में दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत जेट एयरवेज के सफल बोलीदाता के रूप में उभरा, लेकिन ऋणदाताओं के साथ लगातार मतभेदों के परिणामस्वरूप समाधान योजना धरी की धरी रह गई।

सर्वोच्च अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए एयरलाइन की दिवाला कार्यवाही पर रोक लगा दी। एनसीएलएटी ने कहा कि उसने भुगतान दायित्वों का पूर्णतः पालन किए बिना ही जेकेसी को जेट एयरवेज का अधिग्रहण करने की अनुमति दे दी थी। परिसमापन के अलावा, सर्वोच्च अदालत ने सफल बोलीदाता जेकेसी द्वारा डाले गए 200 करोड़ रुपये जब्त करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं को 150 करोड़ रुपये की निष्पादन बैंक गारंटी भुनाने की भी अनुमति दी है। अदालत ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। एनसीएलएटी ने जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखा था। एयरलाइन के ठप होने के इतने वर्षों के बाद जो कुछ बचा है वह है... बाधित आजीविका, बकाया राशि का भुगतान न होना और धूल खाते हुए जेट एयरवेज की छवि वाले कुछ विमान...।

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