Edited By Radhika,Updated: 20 Mar, 2025 06:12 PM

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तेजाबी हमलों के पीड़ितों को मुआवजा मिलने में देरी होने पर State Legal Services Authority (SLSA) से संपर्क करने की सलाह दी। अदालत ने इस मामले में मुंबई स्थित एनजीओ 'एसिड सर्वाइवर्स साहस फाउंडेशन' द्वारा दी गई जानकारी...
नेशनल डेस्क : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तेजाबी हमलों के पीड़ितों को मुआवजा मिलने में देरी होने पर State Legal Services Authority(SLSA) से संपर्क करने की सलाह दी। अदालत ने इस मामले में मुंबई स्थित एनजीओ 'एसिड सर्वाइवर्स साहस फाउंडेशन' द्वारा दी गई जानकारी का संज्ञान लिया, जिसमें बताया गया था कि महाराष्ट्र में तेजाबी हमले के पीड़ितों को मुआवजा प्राप्त करने में कठिनाइयाँ आ रही हैं।
पीड़ितों को SLSA से संपर्क करने की छूट-
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘मुआवजे के भुगतान में देरी होने पर पीड़ित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।’’ अदालत ने एसएलएसए को निर्देश दिया कि वे एक चार्ट बनाएं, जिसमें मुआवजा मांगे जाने और प्राप्त होने की तारीख़ें दर्ज हों। न्यायालय ने कहा कि मुआवजे में देरी होने पर यह मामला अदालत में उठाया जाएगा।

किया जाएगा नियमों का पालन-
यह मामला एनजीओ द्वारा दायर 2023 की जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें 2014 के 'लक्ष्मी बनाम भारत संघ' मामले में जारी आदेशों के सख्त पालन की अपील की गई थी। अदालत के आदेश में कहा गया था कि तेजाबी हमले से बचे लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज दिया जाए और राज्य सरकार उन्हें तीन लाख रुपये का मुआवजा दे। याचिका में मुआवजा राशि बढ़ाने और तेजाबी हमलों के मामलों की त्वरित सुनवाई की भी मांग की गई है।
पीड़ितों को मुआवजा मिलने में हो रही देरी-
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि कई पीड़ित हमले के कई सालों बाद भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं और कुछ को तो पर्याप्त वित्तीय राहत नहीं मिली है, इसके बावजूद अदालत के आदेशों के पालन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।