सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से इनकार करने वाला 1967 का आदेश किया खारिज, नई बेंच करेगी फैसला

Edited By Mahima,Updated: 08 Nov, 2024 11:34 AM

supreme court quashes 1967 order denying minority status to amu

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से इनकार करने वाले 1967 के फैसले को खारिज कर दिया है। अब इस मामले पर नई बेंच विचार करेगी। AMU प्रशासन ने इस फैसले को सकारात्मक बताया है, क्योंकि अगर यूनिवर्सिटी को...

नेशनल डेस्क: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से इनकार करने वाले 1967 के फैसले को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस पुराने फैसले को अब फिर से नई बेंच के सामने रखा जाएगा, जो इस पर नए सिरे से विचार करेगी। यह फैसला AMU के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है क्योंकि यूनिवर्सिटी लंबे समय से अल्पसंख्यक संस्था के रूप में अपनी पहचान को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रही थी।

1967 का फैसला और उसका महत्व
1967 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक अधिकार नहीं दिए जा सकते। कोर्ट ने उस समय यह तर्क दिया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा। यह निर्णय उस समय बहुत चर्चित हुआ था क्योंकि AMU का प्रबंधन मुस्लिम समुदाय के लोगों के हाथों में था, लेकिन अदालत ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय से बाहर माना। यह फैसला AMU के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि यूनिवर्सिटी का प्रबंधन और संचालन मुस्लिम समुदाय के नेतृत्व में होता है, और यह संस्थान मुस्लिम छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र है। इस फैसले के बाद से AMU ने कई बार अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन अदालत के 1967 के आदेश के चलते यह संभव नहीं हो सका।
 

 सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला
अब, सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के उस आदेश को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले को अब एक नई बेंच के सामने रखा जाएगा, जो इस पर पूरी तरह से नए सिरे से विचार करेगी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह जरूरी है कि इस मुद्दे पर वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फिर से विचार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए आशा की एक नई किरण दिखाई दी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस निर्णय को सकारात्मक कदम बताते हुए खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि अगर AMU को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलता है, तो यह विश्वविद्यालय के प्रबंधन और शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

क्या है अल्पसंख्यक का दर्जा?
भारत में अल्पसंख्यक शब्द का उपयोग विशेष रूप से उस समुदाय के लिए किया जाता है जिसे संविधान ने एक विशेष प्रकार का संरक्षण देने का प्रावधान किया है। इसके तहत अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा, संस्कृति और धर्म के मामले में विशेष अधिकार दिए जाते हैं। अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल जाता है, तो इसका लाभ उसे कानूनी और प्रशासनिक अधिकारों के रूप में मिल सकता है, जो उसके संचालन और प्रबंधन को और अधिक स्वतंत्र बना सकता है। 

AMU के लिए आगे का रास्ता
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिए अदालत को इस विषय पर कई पहलुओं पर विचार करना होगा। इसमें यह भी देखा जाएगा कि क्या संविधान की धारा 30 के तहत इसे अल्पसंख्यक अधिकार मिलते हैं या नहीं। इसके साथ ही, कोर्ट यह भी देखेगा कि क्या AMU की संरचना और प्रबंधन इसे एक अल्पसंख्यक संस्था के रूप में स्थापित करने की पात्रता रखते हैं। यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन और कई मुस्लिम संगठनों ने लंबे समय से इस मुद्दे को उठाया है और उनका मानना है कि अगर AMU को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल जाता है, तो यह मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे उन्हें बेहतर शिक्षा और विकास के अवसर मिलेंगे।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!