Edited By Rohini Oberoi,Updated: 25 Mar, 2025 10:05 AM

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में हाई कोर्ट के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई थी जिसमें कोर्ट ने कहा था कि...
नेशनल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में हाई कोर्ट के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई थी जिसमें कोर्ट ने कहा था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को छूना और पजामे के नाड़े को तोड़ना रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता।
सोमवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच के सामने आया। इस दौरान वकील ने अदालत में दलीलें दीं और कहा कि हमारे देश में "बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ" जैसे नारे दिए गए हैं। इसके बाद जस्टिस त्रिवेदी ने उन्हें रोकते हुए कहा कि कोर्ट में भाषणबाजी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने पूछा कि इस मामले में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कहां हैं?
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वकील ने जवाब दिया कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड का कोर्ट में होना जरूरी नहीं है लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने इसके बाद कहा कि इस मामले पर आर्टिकल 32 के तहत सुनवाई नहीं की जाएगी। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और सुनवाई से इनकार कर दिया।
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क्या था मामला?
यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट से जुड़ा है जहां 17 मार्च को जज राम मनोहर नारायण मिश्रा ने एक आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने जिला अदालत से कहा था कि रेप की कोशिश के आरोप को हटा दिया जाए और केवल छेड़छाड़ और हमला करने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए।
वहीं शिकायत में कहा गया था कि नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट को छुआ गया और उसके सलवार के नाड़े को तोड़कर उसे पुलिया के नीचे ले जाया गया। आरोपियों के खिलाफ रेप की कोशिश की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।