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महिला की हत्या के बाद दुष्कर्म...मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय, कहा- शव से यौन संबंध बनाना रेप नहीं

Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Feb, 2025 03:53 PM

supreme court s big decision in the case of rape after murder of a woman

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए नेक्रोफिलिया (मृत शरीर से यौन संबंध बनाना) को बलात्कार मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की अपील को...

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए नेक्रोफिलिया (मृत शरीर से यौन संबंध बनाना) को बलात्कार मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की अपील को भी खारिज कर दिया। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इसे बलात्कार मानने से इनकार किया और याचिका खारिज कर दी। अदालत ने संसद को इस मुद्दे पर कानून बनाने के लिए दिशा दी।
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जानें क्या था मामला?
मामला कर्नाटक राज्य का है, जहां एक आरोपी ने 21 साल की महिला की हत्या के बाद उसके शव के साथ यौन संबंध बनाए थे। ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या (धारा 302) और बलात्कार (धारा 375) का दोषी ठहराया था। बाद में यह मामला कर्नाटक हाई कोर्ट में गया, जहां कोर्ट ने मई 2023 में कहा कि नेक्रोफिलिया IPC की धारा 375 या धारा 377 के तहत नहीं आता। इसलिए, हाई कोर्ट ने आरोपी को बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया, लेकिन हत्या का दोषी पाया। हाई कोर्ट के इस फैसले को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने बीते मंगलवार को यह साफ किया कि इस मामले में जांच और अगर जरूरत हो तो कानून में बदलाव करना संसद का काम है, न कि सुप्रीम कोर्ट का। कोर्ट ने कहा कि कानून नेक्रोफिलिया को अपराध नहीं मानता, इसलिए हाई कोर्ट का यह निर्णय सही था कि आरोपित को बलात्कार के आरोप से मुक्त किया जाए।
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कर्नाटक सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अमन पंवार ने कोर्ट में तर्क दिया कि IPC की धारा 375 में 'शरीर' शब्द का अर्थ मृत शरीर से भी होना चाहिए, क्योंकि मृत शरीर सहमति नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि इसे बलात्कार के दायरे में लाना चाहिए, जैसा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय अदालतों ने किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पंवार के तर्कों को अस्वीकार कर दिया और कर्नाटक सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि यह संसद का काम है कि वह इस मामले में जरूरी बदलाव करे।

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