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Pahalgam Attack: पहले गोली मारी फिर डेड बाॅडी की सेल्फी ले रहे थे आतंकी, आतंकियों के सामने खड़े हो गए थे सुशील

Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Apr, 2025 02:08 PM

sushil nathaniel  pahalgam terror attack veena nagar in indore

पिछले कुछ दिनों से देश गुस्से और ग़म में डूबा हुआ है, लेकिन जब पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए सुशील नथानियल का पार्थिव शरीर इंदौर के वीणा नगर पहुंचा, तो उस ग़म ने इंसान की हर भावना को मात दे दी। बुधवार रात करीब 9:15 बजे जैसे ही एंबुलेंस का सायरन...

नेशनल डेस्क: पिछले कुछ दिनों से देश गुस्से और ग़म में डूबा हुआ है, लेकिन जब पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए सुशील नथानियल का पार्थिव शरीर इंदौर के वीणा नगर पहुंचा, तो उस ग़म ने इंसान की हर भावना को मात दे दी। बुधवार रात करीब 9:15 बजे जैसे ही एंबुलेंस का सायरन गूंजा, पूरा मोहल्ला सुशील को अंतिम विदाई देने सड़कों पर उतर आया। हर आंख नम थी, हर चेहरा आक्रोश से भरा-ऐसा लग रहा था मानो हर आंसू, पाकिस्तान से जवाब मांग रहा हो।

शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

वीणा नगर की गलियों में मानो सन्नाटा पसरा था, लेकिन आंखों से बहते आंसुओं और "पाकिस्तान मुर्दाबाद" के नारों ने उस सन्नाटे को तोड़ दिया। जब ताबूत खोला गया, तो बुआ जूली की चीखें हर दिल को चीरती चली गईं - “मेरे बेटे, तूने अपनी बुआ को छोड़ दिया…” लोग ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन मातम का समंदर थमने का नाम नहीं ले रहा था।

आतंकियों के सामने खड़े हो गए थे सुशील

सुशील ने न सिर्फ अपने परिवार की, बल्कि इंसानियत की भी रक्षा की। जब आतंकी गोलियां चला रहे थे, उन्होंने अपनी पत्नी को छिपा दिया और खुद सामने आकर खड़े हो गए। हमले में उनकी बेटी घायल हुई - पैर में गोली लगी। बेटे ऑस्टिन नथानियल के बयान ने उस भयावह मंजर की तस्वीर साफ की, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया।

आतंकियों की हैवानियत: धर्म पूछ-पूछ कर मारते रहे

ऑस्टिन ने बताया कि हमलावर चार थे, और चौंकाने वाली बात यह थी कि सभी की उम्र करीब 15 साल थी। वे अपने सिर पर कैमरा लगाकर आए थे और शूटिंग के साथ सेल्फी भी ले रहे थे। लोगों से नाम और धर्म पूछते, फिर कलमा पढ़ने को कहते। यहां तक कि मुस्लिम होने के बाद भी कपड़े उतरवाकर उनकी पहचान की पुष्टि कर रहे थे। ऑस्टिन की आंखों के सामने ही छह लोगों को गोली मार दी गई।

सरकार और समाज का साथ

सुशील के शव को मर्चुरी में रखने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि दी और परिवार को सांत्वना दी। पूरे प्रदेश और देश ने इस बलिदान को सलाम किया है। लेकिन इस श्रद्धांजलि के साथ-साथ यह सवाल भी उठा है: आख़िर कब तक?

सुशील की कुर्बानी, हर भारतवासी का सवाल

सुशील नथानियल न सिर्फ एक परिवार के सहारे थे, बल्कि वे उस इंसानियत की मिसाल थे जो आतंकी गोलियों के सामने भी पीछे नहीं हटी। उनकी शहादत आज हर भारतीय को यह याद दिला रही है कि हमारे बीच के साधारण लोग भी असाधारण साहस की मिसाल बन जाते हैं।

 

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