Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 12 Apr, 2025 09:21 AM
एनआईए मुख्यालय में रखा गया है तहव्वुर राणा 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद दिल्ली स्थित एनआईए मुख्यालय में एक बेहद सुरक्षित सेल में रखा गया है।
नेशलन डेस्क: एनआईए मुख्यालय में रखा गया है तहव्वुर राणा 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद दिल्ली स्थित एनआईए मुख्यालय में एक बेहद सुरक्षित सेल में रखा गया है। इस सेल में चौबीसों घंटे सीसीटीवी निगरानी, सशस्त्र सुरक्षाकर्मी और हर स्तर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। वजह साफ है—एनआईए को आशंका है कि राणा आत्महत्या की कोशिश कर सकता है।
“सुसाइड वॉच” पर रखा गया है राणा
एनआईए सूत्रों के अनुसार राणा को ग्राउंड फ्लोर पर बने 14x14 फीट के विशेष सेल में रखा गया है। उसे केवल सॉफ्ट-टिप पेन दिया गया है ताकि वह खुद को नुकसान न पहुंचा सके। विशेषज्ञों की सलाह पर उसे “सुसाइड वॉच” पर रखा गया है यानी उसकी गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है।
इन मुद्दों पर हो रही है पूछताछ
एनआईए ने शुक्रवार को राणा से पूछताछ शुरू की। अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में निम्न बिंदुओं पर फोकस किया जा रहा है:
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आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा के साथ राणा के संबंध
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डेविड हेडली के संपर्कों और भारत में सक्रिय स्लीपर सेल
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मुंबई हमले की साजिश की विस्तृत योजना
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हेडली द्वारा भारत में की गई रेकी और उसमें राणा की भूमिका
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भारत में आतंकी नेटवर्क को सपोर्ट करने वाले सहयोगी
सूत्र बताते हैं कि हेडली ने गोवा, दिल्ली, पुष्कर जैसे इलाकों में आतंकी गतिविधियों के लिए संभावित ठिकानों की पहचान की थी और इसमें राणा की मदद अहम थी।
जेल की सुरक्षा व्यवस्था भी टॉप लेवल पर
राणा को आगे चलकर मुंबई की ऑर्थर रोड जेल ले जाया जाएगा, जहां उसे उसी कोठरी में रखा जाएगा जिसमें अजमल कसाब को रखा गया था। इस कोठरी को ‘हाई रिस्क सेल’ माना जाता है और यहां सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल अपनाए जाते हैं।
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि यह प्रक्रिया यूपीए सरकार के दौरान 2009 में शुरू हुई थी, जब एनआईए ने डेविड हेडली, तहव्वुर राणा और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। चिदंबरम ने कहा कि यह नतीजा ईमानदारी से की गई कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है, न कि किसी दिखावे का।