Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Mar, 2025 03:35 PM

तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट में रुपए (₹) के आधिकारिक सिंबल को हटाकर तमिल लिपि 'ரூ' का इस्तेमाल किया, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है। यह फैसला हिंदी भाषा के विरोध के बीच आया है।
नेशनल डेस्क: तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट में रुपए (₹) के आधिकारिक सिंबल को हटाकर तमिल लिपि 'ரூ' का इस्तेमाल किया, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है। यह फैसला हिंदी भाषा के विरोध के बीच आया है। तमिलनाडु में भाषा विवाद के बीच सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की सरकार ने राज्य के बजट दस्तावेजों में भारतीय रुपए (₹) के आधिकारिक प्रतीक को हटा दिया है और इसकी जगह तमिल भाषा का 'ரூ' सिंबल उपयोग किया है। यह पहली बार है जब किसी राज्य ने ₹ के सिंबल को बदला है, जिससे यह मुद्दा अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
₹ का आधिकारिक सिंबल क्यों बदला गया?
देशभर में ₹ का सिंबल भारतीय मुद्रा का आधिकारिक प्रतीक है, जिसे 2010 में सरकार ने अपनाया था। इसका डिजाइन प्रसिद्ध डिजाइनर उदय कुमार धर्मलिंगम ने किया था, जो तमिलनाडु के रहने वाले हैं। इस सिंबल को राष्ट्रीय पहचान मिली थी क्योंकि यह भारतीय तिरंगे पर आधारित था। लेकिन अब तमिलनाडु सरकार ने इसे बदलकर 'ரூ' कर दिया है, जो तमिल भाषा में रुपए का प्रतीक माना जाता है।
क्या यह भाषा विवाद से जुड़ा कदम है?
तमिलनाडु सरकार का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब हिंदी भाषा को लेकर विवाद चल रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केंद्र सरकार पर जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि हिंदी के प्रभाव से कई प्राचीन भाषाएं लुप्त होने की कगार पर हैं।
हिंदी भाषा पर एम. के. स्टालिन का बयान
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, "अखंड हिंदी पहचान की कोशिश के कारण प्राचीन भाषाएं खत्म हो रही हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश कभी भी हिंदी भाषी इलाके नहीं थे, लेकिन अब उनकी मूल भाषाएं पीछे छूट गई हैं।" उन्होंने आगे कहा कि हिंदी भाषा ने कई अन्य भाषाओं को कमजोर कर दिया है। उन्होंने मुंडारी, मारवाड़ी, कुरुख, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, मैथिली, अवधी, भोजपुरी, ब्रज, कुमाऊंनी, गढ़वाली जैसी भाषाओं का उदाहरण दिया और कहा कि ये भाषाएं अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।
तमिल पहचान को मजबूत करने की कोशिश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तमिलनाडु सरकार ने ₹ का सिंबल बदलकर तमिल पहचान को और मजबूत करने की कोशिश की है। डीएमके सरकार पहले से ही हिंदी थोपे जाने के खिलाफ रही है और अक्सर केंद्र सरकार की भाषा नीति का विरोध करती रही है।
क्या ₹ का सिंबल बदलने से राष्ट्रीय पहचान पर असर पड़ेगा?
तमिलनाडु सरकार के इस फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को दर्शाता है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इससे राष्ट्रीय पहचान कमजोर होगी।