धरती पर खाई जाने वाली वस्तुओं का अंतरिक्ष में बदल जाता है स्वाद? क्या खाकर जीवित रहते हैं Astronauts?

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 18 Jul, 2024 01:04 PM

taste of food eaten on earth changes in space

धरती पर हर तरह के स्वादिष्ट भोजन को लोग मजे से खाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अंतरिक्ष में इसी स्वादिष्ट भोजन का स्वाद बिलकुल बदल जाता है। वैज्ञानिक अक्सर कहते हैं कि अंतरिक्ष में खाने...

इंटरनेशनल डेस्क: धरती पर हर तरह के स्वादिष्ट भोजन को लोग मजे से खाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अंतरिक्ष में इसी स्वादिष्ट भोजन का स्वाद बिलकुल बदल जाता है। वैज्ञानिक अक्सर कहते हैं कि अंतरिक्ष में खाने का मजा नहीं रहता। पृथ्वी पर जो भोजन शानदार लगता है वह अंतरिक्ष की कक्षा में नीरस और उबाऊ हो सकता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए दरअसल, सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए आहार के बावजूद, वह अक्सर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं कर पाते हैं।
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कैसा होता अंतरिक्ष में भोजन?
दरअसल ऑस्ट्रेलिया के रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (RMIT) विश्वविद्यालय ने हाल ही में एक रिसर्च की है। जिसमें धरती से अंतरिक्ष में खाने के स्वाद (Taste of Food in Space) पर शोध किया गया है। जिसमें पता चला है कि धरती पर जो खाना हम खा रहे हैं उसका स्वाद में अंतरिक्ष में गए भोजन का स्वाद काफी अलग हो जाता है। स्वाद में इस अंतर की वजह रिसर्चर्स ने गुरुत्वाकर्षण बल की कमी बताया है। ग्रेविटी की वजह से अंतरिक्ष में खाना स्वादिष्ट नहीं बल्कि फीका लगता है। स्पेस में अंतरिक्ष यात्री खाना खाते हैं तो खाना मुंह से पेट में जाने के साथ-साथ तालू में भी चिपक जाता है। इसकी वजह से नाक बंद हो जाती है। ऐसे में एस्ट्रोनॉट्स को न तो खाने की खुशबू मिल पाती है और न ही खाने का स्वाद। ऐसे में साफ है कि अंतरिक्ष यात्रियों को कितना भी स्वादिष्ट खाना भेजा जाए, वह स्वादहीन ही लगेगा।
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शोध में क्या आया सामने?
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने शोध के लिए वीआर और स्पेसशिप के सिम्युलेटेड से अंतरिक्ष जैसा माहौल तैयार किया। इसमें 54 प्रतिभागियों को वेनिला, बादाम और नींबू का रस दिया गया। अंतरिक्ष जैसे वातावरण में ग्रेविटी की कमी के कारण यह तरल पदार्थ मुंह में ऊपर की तरफ चला जाता है। इससे नाक में जकडऩ आ जाती है और स्वाद और सूंघने की क्षमता प्रभावित होती है।
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क्या खाकर जीवित रहते हैं अंतरिक्ष यात्री?
प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के लिए रोजाना 1.7 किलोग्राम का भोजन भेजा जाता है। इसमें 450 ग्राम वजन कंटेनर का होता है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से उनके लिए जो भी भोजन बनाया जाता है, उसे जीरो ग्रैविटी को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। एक कंटेनर को 2 दिन के अंदर खाकर खत्म करना होता है। क्योंकि इसके बाद वह खाने के लायक नहीं रह जाता। खाने की पैकिंग रेडिएशन रोधी होती है। ताकि वह अंतरिक्ष में जाने के बाद बैक्टीरिया या फंगस की चपेट में नहीं आए। अंतरिक्ष यात्रियों के खाने में ज्यादातर ड्राई फ्रूट्स, एप्रीकोट का बना खाना होता है। यह काफी सूखा और नमी रहित बनाया जाता है। खाने में फल जैसा लगता है। इसमें रेडी टू ईट आइटम होते हैं। वहीं समस्त पेय पदार्थ पाउडर के रूप में होते हैं, जिन्हें पीने के लिए गर्म पानी मिलाना होता है। अंतरिक्ष यात्रियों को बहुत कम मात्रा में भोजन करना होता है। 

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