Edited By Parminder Kaur,Updated: 27 Aug, 2024 02:07 PM
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच के लिए एक नई किफायती तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक से मात्र 35 रुपए में रोगी के बलगम से टीबी का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक एक...
नेशनल डेस्क. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच के लिए एक नई किफायती तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक से मात्र 35 रुपए में रोगी के बलगम से टीबी का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक एक बार में लगभग ढाई घंटे में 1500 से ज्यादा नमूनों की जांच कर सकती है। इससे रिपोर्ट चंद घंटों में मिल जाएगी, जबकि वर्तमान में टीबी की पुष्टि होने में 42 दिन लग जाते हैं।
इस नई जांच प्रणाली का नाम 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' है। यह एक हल्का और पोर्टेबल सिस्टम है। वर्तमान में टीबी की जांच माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लिक एसिड आधारित विधियों से की जाती है, जिनमें समय भी अधिक लगता है और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों की आवश्यकता होती है। पारंपरिक तकनीक से टीबी की पुष्टि करने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगता है।
ICMR के एक अधिकारी ने बताया कि टीबी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए सटीक और तेज़ निदान उपकरणों की आवश्यकता है। मौजूदा निदान विधियाँ संवेदनशील समय लेने वाली और महंगी होती हैं।
ICMR ने 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' के व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए पात्र संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं को आमंत्रित किया है। ICMR का डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र इस प्रक्रिया के सभी चरणों में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा।