Edited By Mahima,Updated: 02 Jan, 2025 12:42 PM
ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक से बने टी-बैग्स गर्म पानी में डालने पर माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स के लाखों कण छोड़ते हैं, जो हमारे शरीर में अवशोषित हो सकते हैं। इससे आंतों और अन्य...
नेशनल डेस्क: टी-बैग से बनी चाय की सुगंध और स्वाद को हम रोज़ आनंद लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चाय हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है? ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना (UAB) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक ताजे अध्ययन ने इस बात का खुलासा किया है कि टी-बैग्स, जो आमतौर पर नायलॉन, पॉलीप्रोपाइलीन और सेलूलोज़ जैसे प्लास्टिक पदार्थों से बने होते हैं, गर्म पानी में डालने के बाद माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स (एम.एन.पी.एल.) के लाखों कण छोड़ते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकते हैं।
जानिए क्या है अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि जब टी-बैग्स को गर्म पानी में डाला जाता है, तो वे माइक्रो और नैनोप्लास्टिक कणों को छोड़ते हैं, जो हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस अध्ययन में इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप और इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसे उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन प्लास्टिक कणों का औसत आकार लगभग 137 से 244 नैनोमीटर तक होता है।
प्लास्टिक कणों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जब इन प्लास्टिक कणों का संपर्क मानव आंतों की कोशिकाओं से होता है, तो यह कण आसानी से अवशोषित हो सकते हैं और फिर रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकते हैं। इससे न केवल आंतों में सूजन हो सकती है, बल्कि यह शरीर के विभिन्न अंगों में भी जा सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
विभिन्न प्रकार के टी-बैग्स और उनके प्रभाव
शोधकर्ताओं ने तीन प्रमुख प्रकार के टी-बैग्स का अध्ययन किया जो नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सेल्यूलोज़ से बने थे। नायलॉन-6 से बने टी-बैग्स में प्रति मिलीलीटर 81.8 लाख कण पाए गए, जिनका आकार औसतन 138 नैनोमीटर था। वहीं, पॉलीप्रोपाइलीन से बने टी-बैग्स ने प्रति मिलीलीटर 120 करोड़ कण छोड़े, जिनका औसत आकार 137 नैनोमीटर था। सबसे कम कण सेल्यूलोज़ से बने टी-बैग्स से निकले, लेकिन फिर भी प्रति मिलीलीटर 13.5 करोड़ कण थे, जिनका आकार 244 नैनोमीटर था।
क्या इससे बचा जा सकता है?
वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया कि हमें टी-बैग्स के विकल्प की तलाश करनी चाहिए, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हों। प्लास्टिक के विकल्प में कपड़े या बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बने टी-बैग्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इन कणों के शरीर में प्रवेश से बचने के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि हम चाय को ठंडा होने के बाद ही पियें, ताकि तापमान में गिरावट के साथ प्लास्टिक के कणों का निकलना कम हो सके। टी-बैग्स से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा हो सकते हैं, खासकर जब इन कणों का अवशोषण शरीर में हो जाता है। अध्ययन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस विषय पर और शोध की आवश्यकता है, ताकि हम अपने स्वास्थ्य को बचाने के लिए बेहतर विकल्प चुन सकें।