जयपुर स्कूल में शिक्षिका जमीन पर लेटी, छात्र कर रहे थे पैर की 'मालिश': वायरल वीडियो से उठे विवाद

Edited By Mahima,Updated: 10 Oct, 2024 02:54 PM

teacher lay on the ground in jaipur school students were  massaging  her feet

जयपुर के एक सरकारी स्कूल में वायरल वीडियो में शिक्षिका जमीन पर लेटी हुई हैं, जबकि छात्र उनके पैरों की मालिश कर रहे हैं। प्रिंसिपल अंजू चौधरी ने घटना की जानकारी से अनभिज्ञता जताई, जबकि उन्होंने कहा कि शिक्षिका की तबीयत खराब हो सकती है। इस घटना ने...

नेशनल डेस्क: स्कूल शिक्षा को समाज का मंदिर माना जाता है, जहां विद्यार्थियों को ज्ञान और नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है। लेकिन हाल ही में एक वीडियो सामने आया है, जिसने इस विश्वास को चुनौती दी है। यह वीडियो जयपुर के एक सरकारी स्कूल का है, जिसमें एक शिक्षिका कक्षा में जमीन पर लेटी हुई दिखाई दे रही हैं, और छात्र उनके पैरों पर खड़े होकर मालिश कर रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कई लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं और सरकारी स्कूलों की स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं। यह वीडियो करतारपुर के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय का बताया जा रहा है।

वीडियो में दिख रही शिक्षिका के बारे में कहा जा रहा है कि वह कक्षा में लेटकर आराम कर रही थीं, जबकि बच्चे उनकी सेवा में लगे थे। स्कूल की प्रिंसिपल अंजू चौधरी ने इस वीडियो को देखने की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनका कहना था कि शिक्षिका की तबीयत खराब हो सकती है और हो सकता है कि उन्होंने बच्चों से अपने पैरों की मालिश करने के लिए कहा हो। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच की जाएगी।

इस घटना के बारे में अभिभावकों और समाज के लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। कई शिक्षकों ने इस पर अपनी चिंता जताई है, और उन्होंने कहा है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को सही दिशा में आगे बढ़ाना भी है। इस प्रकार के घटनाक्रम न केवल छात्रों के मानसिक विकास पर असर डालते हैं, बल्कि पूरे शिक्षा प्रणाली की छवि को भी धूमिल करते हैं।

शिक्षा मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह आवश्यक है कि स्कूलों में शिक्षकों का आचरण अनुशासित और प्रेरणादायक हो, ताकि बच्चे सकारात्मक वातावरण में पढ़ाई कर सकें। इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि शिक्षा के मंदिर में भी कुछ ऐसी बातें हो सकती हैं, जो समाज के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं। ऐसे में सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की दिशा में कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।

 

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