Edited By Parminder Kaur,Updated: 24 Feb, 2025 03:31 PM
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तमिलनाडु के चेन्नई में एक निजी स्कूल में हिंदी कविता नहीं सुनाने पर एक तीसरी कक्षा के छात्र की पिटाई का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने संबंधित हिंदी शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
नेशनल डेस्क. तमिलनाडु के चेन्नई में एक निजी स्कूल में हिंदी कविता नहीं सुनाने पर एक तीसरी कक्षा के छात्र की पिटाई का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने संबंधित हिंदी शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
घटना की जानकारी
यह घटना चेन्नई के किलपौक स्थित एक निजी स्कूल की है। पीड़ित छात्र तीसरी कक्षा में पढ़ता है। स्कूल के निदेशक एम पलानीसामी ने कहा कि अभी तक उन्होंने मामले की पूरी जांच नहीं की है, लेकिन सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की जाएगी।
माता-पिता की शिकायत के बाद एक्शन
रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र के माता-पिता ने स्कूल प्रबंधन से लिखित शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया कि शिक्षक ने बच्चे को हिंदी कविता न सुनाने पर उसे स्कूल में घुसने नहीं देने की धमकी भी दी थी। शिकायत मिलने के बाद स्कूल प्रबंधन ने तुरंत कार्रवाई की और शिक्षक को निलंबित कर दिया।
कुछ दिन पुरानी है घटना
छात्र के माता-पिता के अनुसार, यह घटना कुछ दिन पहले की है। पिटाई के बाद बच्चा बहुत परेशान था। स्कूल में तमिल, अंग्रेजी और हिंदी तीनों भाषाओं की पढ़ाई होती है, लेकिन बच्चा हिंदी कविता नहीं सुना पाया, जिसके बाद शिक्षक ने उसकी पिटाई कर दी।
बच्चों को स्कूल में पीटना है अपराध
भारत में बच्चों पर शारीरिक दंड लगाना गैरकानूनी है। अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा 17(1) के अनुसार स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दंड और मानसिक उत्पीड़न करना प्रतिबंधित है। धारा 17(2) के तहत यह एक अपराध है और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाती है। CBSE भी स्कूलों में बच्चों पर शिक्षकों की हिंसा के खिलाफ सख्त रुख अपनाता है।
बच्चों के साथ क्रूरता नहीं कर सकते शिक्षक
आरटीई अधिनियम-2009 के तहत बच्चों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न को अपराध माना जाता है। स्कूलों में बच्चों को मारना, लात मारना, बाल खींचना, थप्पड़ मारना या किसी अन्य प्रकार से शारीरिक दंड देना अपराध है। इसके अलावा बच्चों को असहज स्थिति में रखना जैसे बेंच पर खड़ा करना, दीवार के सहारे खड़ा करना और अन्य क्रूरता भी अपराध है।