दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: किशोरों को सहमति से प्रेम संबंध बनाने की मिले आज़ादी

Edited By Parminder Kaur,Updated: 20 Feb, 2025 01:13 PM

teenagers should be given freedom to have consensual love relationships

दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोरों को सहमति से प्रेम संबंध बनाने की आज़ादी देने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि किशोरों को बलात्कार कानूनों के डर के बिना प्रेम संबंध बनाने का अधिकार होना चाहिए और इसके लिए कानून को भी विकसित किया जाना चाहिए।

नेशनल डेस्क. दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोरों को सहमति से प्रेम संबंध बनाने की आज़ादी देने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि किशोरों को बलात्कार कानूनों के डर के बिना प्रेम संबंध बनाने का अधिकार होना चाहिए और इसके लिए कानून को भी विकसित किया जाना चाहिए।

यह फैसला कक्षा 12 की एक छात्रा के मामले में सुनाया गया। जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि किशोरावस्था के आखिरी सालों में सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को भी पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध माना जाता है, जो कि गलत है। प्रेम एक मौलिक मानवीय अनुभव है और किशोरों को भी भावनात्मक संबंध बनाने का अधिकार है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून को किशोरों के सहमति से बनाए गए संबंधों को अपराध घोषित करने के बजाय शोषण और दुर्व्यवहार को रोकने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। किशोर संबंधों से जुड़े मामलों में सजा देने से ज्यादा समझदारी और दयालु दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

यह था मामला

कक्षा 12 की एक छात्रा (जो 16-17 साल की थी) ट्यूशन क्लास के लिए निकली थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी। बाद में उसे 18 साल के लड़के के साथ पाया गया। छात्रा के पिता की शिकायत पर लड़के को पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने लड़के को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ राज्य ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

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