Canada : कनाडा में मंदिर हमले से भारतीय समुदाय में बढ़ी चिंता: सरकार ने की सख्त निंदा

Edited By Mahima,Updated: 04 Nov, 2024 05:03 PM

temple attack in canada raises concern among indian community

भारत ने कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हुए हमले को लेकर गहरी चिंता जताई और चरमपंथियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया और हमले में...

नेशनल डेस्क: भारत ने कनाडा के ओंटारियो प्रांत के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हुए हालिया हमले को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। सोमवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत "चरमपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करता है" और कनाडा से अपील की कि सभी पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

हमले की पृष्ठभूमि
यह हमला पिछले सप्ताह ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर में हुआ, जब अज्ञात लोगों ने मंदिर के गेट को तोड़कर भक्तों पर हमला किया। इस हिंसक घटना का आरोप भारतीय-कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने खालिस्तानी चरमपंथियों पर लगाया है। उन्होंने कहा कि यह हमला "लाल रेखा" पार कर चुका है और यह दर्शाता है कि कनाडा में खालिस्तानी तत्वों की हिंसा कितनी गहरी और बेशर्म हो चुकी है। 

भारतीय उच्चायोग का बयान
इससे पहले, भारतीय उच्चायोग ने भी इस हमले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा था कि वाणिज्य दूतावास शिविर में "हिंसक व्यवधान" हुआ, जबकि उच्चायोग ने सुरक्षा उपायों के लिए अग्रिम अनुरोध किया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं हैं, और इस घटना ने समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है।

सरकार की स्थिति और बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हमें यह भी उम्मीद है कि ऐसी हिंसा में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर "गहरी चिंता" में है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि भारतीय और कनाडाई नागरिकों को वाणिज्य दूतावास सेवाएं प्रदान करने का प्रयास किसी भी प्रकार की हिंसा से प्रभावित नहीं होगा। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर है और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेगा।

कनाडा के प्रधानमंत्री का बयान
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि इसे "अस्वीकार्य" माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूजा स्थलों पर सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है। यह टिप्पणी उस समय आई है जब ट्रूडो के भारत के साथ संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं, खासकर जब से भारत ने उनके देश में खालिस्तानी तत्वों के गतिविधियों का आरोप लगाया है। 

ब्रैम्पटन के मेयर का समर्थन
ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि जो लोग इस हिंसा में शामिल हैं, उन्हें "कानून की सबसे बड़ी सीमा" तक सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "कनाडा में धार्मिक स्वतंत्रता एक आधारभूत मूल्य है। हर किसी को अपने पूजा स्थल पर सुरक्षित महसूस करना चाहिए।" 

पुलिस की प्रतिक्रिया
स्थानीय पुलिस ने अभी तक इस मामले में किसी भी गिरफ्तारी की जानकारी नहीं दी है। पुलिस प्रवक्ता ने कहा है कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं और पूरी स्थिति को समझने के लिए जानकारी इकट्ठा करने में लगे हैं। यह स्पष्ट है कि स्थानीय पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रयास कर रही है।

समुदाय की प्रतिक्रिया और चिंताएं
इस हिंसक हमले ने कनाडा में रहने वाले भारतीय समुदाय में असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। समुदाय के सदस्य अब अपने अधिकारों और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने कनाडाई सरकार से उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर इस प्रकार की चिंताएं केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से उठाई जा रही हैं। हिंदू समुदाय ने एकजुटता के साथ इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर इस प्रकार की हिंसा जारी रही, तो इससे समुदाय के सदस्यों के बीच डर और चिंता बढ़ेगी। 

कनाडा में हुई इस हिंसक घटना ने न केवल भारतीय सरकार को चिंतित किया है, बल्कि यह कनाडा में भारतीय समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर है और इस प्रकार के हिंसक उत्पीड़न को सहन नहीं करेगा। यह स्थिति दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समुदायों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को बनाए रखना कितना आवश्यक है, ताकि सभी लोग अपने धार्मिक अधिकारों का पालन कर सकें।

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