Edited By Mahima,Updated: 16 Dec, 2024 12:12 PM
संभल जिले में 48 साल बाद खुले पुराने शिव मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई के दौरान तीन खंडित मूर्तियां मिलीं हैं। मूर्तियां देवी-देवताओं की प्रतीत हो रही हैं। प्रशासन ने मूर्तियों की जांच के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंदिर को 1978 में...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 48 साल बाद एक पुराने मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई के दौरान तीन खंडित मूर्तियां सामने आई हैं, जो देवी-देवताओं के रूप में पहचानी जा रही हैं। इस घटनाक्रम ने इलाके में हलचल मचा दी है। प्रशासन ने इन मूर्तियों को जल्द से जल्द जांच के लिए संबंधित विभाग को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
संभल के खग्गू सराय में ऐतिहासिक मंदिर की खुदाई
संभल के दीपसराय क्षेत्र से सटे खग्गू सराय में स्थित एक पुराना शिव मंदिर, जो 1978 से बंद पड़ा था, हाल ही में प्रशासन द्वारा फिर से खोला गया है। मंदिर को फिर से खोलने के बाद वहां पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है। मंदिर के पास स्थित एक कुएं की खुदाई 15 से 20 फीट तक की गई, जिसमें एक के बाद एक तीन खंडित मूर्तियां निकलीं। ये मूर्तियां माता-पार्वती, गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतीत हो रही हैं। मूर्तियों की लंबाई करीब 7 से 8 इंच के आस-पास है और उनका रूप भी काफी पुराना व क्षतिग्रस्त अवस्था में पाया गया है।
मूर्तियों की पहचान और प्रशासन की प्रतिक्रिया
खुदाई के दौरान कुएं में से निकली मूर्तियों की पहचान कर प्रशासन ने इनकी जांच की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मौके पर पहुंचे एडिशनल एसपी श्रीशचंद्र और सीओ अनुज चौधरी ने मूर्तियों का निरीक्षण किया और कहा कि इनका फौरन परीक्षण किया जाएगा। मूर्तियों की जांच के बाद ही उनकी ऐतिहासिकता और महत्व के बारे में और जानकारी मिल पाएगी। इस मौके पर पुलिस प्रशासन भी सतर्क है और घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
संभल में मंदिर की बंदी के कारण और उसका पुनः खुलना
संभल के इस पुराने मंदिर का इतिहास भी काफी दिलचस्प है। यह मंदिर 1978 से बंद पड़ा था जब इस इलाके में सांप्रदायिक दंगे हुए थे और हिंदू समुदाय को इस क्षेत्र से पलायन करना पड़ा था। दंगों के कारण मंदिर और आसपास के इलाकों में भय का माहौल था, जिसके कारण यह मंदिर बंद कर दिया गया था। लगभग चार दशकों के बाद अब इस मंदिर को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया। इस प्रक्रिया को लेकर अब मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में श्रद्धालु और लोग आकर पूजा-अर्चना करने लगे हैं।
मंदिर के कुएं से मिली मूर्तियों का महत्व
कुएं की खुदाई से मिलीं मूर्तियां हिंदू धर्म के प्रमुख देवी-देवताओं की प्रतीत हो रही हैं। स्थानीय लोगों और मंदिर से जुड़े लोगों का मानना है कि इन मूर्तियों का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। अब प्रशासन ने इन मूर्तियों को जांच के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही, मंदिर के आसपास की जमीन को भी संरक्षित किया जा रहा है। प्रशासन ने मंदिर के सुरक्षा के लिए कड़ी व्यवस्था की है और सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित किए गए हैं।
कार्बन डेटिंग और मंदिर के इतिहास की जांच
मंदिर के अंदर शिवलिंग, हनुमान जी की मूर्ति और नंदी की प्रतिमा रखी हुई हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस बीच, जिला प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर मंदिर और मूर्तियों की कार्बन डेटिंग कराने का निर्णय लिया है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि यह मंदिर और इसकी मूर्तियां कितनी पुरानी हैं। यह जांच मंदिर के वास्तविक इतिहास को उजागर करने में मददगार साबित हो सकती है।
स्थानीय लोगों का बयान और मंदिर के इतिहास से जुड़ी घटनाएं
स्थानीय निवासी और नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी (82) ने बताया कि वह जन्म से खग्गू सराय में ही रहते आए हैं और उन्होंने 1978 के दंगों को करीब से देखा था। उनका कहना है कि उस वक्त हिंदू समुदाय को मजबूरन इलाके से पलायन करना पड़ा था, जिसके बाद यह मंदिर बंद कर दिया गया था। वहीं, मंदिर के पुनः खुलने से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है और वे अब फिर से यहां पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
अब आगे की दिशा
मंदिर के पुनः खुलने और कुएं से निकली मूर्तियों ने एक नई धार्मिक और ऐतिहासिक खोज को जन्म दिया है। अब प्रशासन ने इस क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत किया है और पुराने अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया भी चल रही है। मंदिर और उसकी मूर्तियों के बारे में आगे और ज्यादा जानकारी मिलने की उम्मीद है।