Edited By Parminder Kaur,Updated: 10 Mar, 2025 01:10 PM

देवबंद के मुस्लिम बहुल इलाके में रविवार को एक ऐतिहासिक घटना हुई, जब मोहल्ला बैरून कोटला में दशकों से बंद पड़े शिव मंदिर में हवन और पूजा आयोजित की गई। योग साधना आश्रम बघरा मुजफ्फरनगर के पीठाधीश्वर यशवीर महाराज ने इस मंदिर को फिर से जागृत किया।
नेशनल डेस्क. देवबंद के मुस्लिम बहुल इलाके में रविवार को एक ऐतिहासिक घटना हुई, जब मोहल्ला बैरून कोटला में दशकों से बंद पड़े शिव मंदिर में हवन और पूजा आयोजित की गई। योग साधना आश्रम बघरा मुजफ्फरनगर के पीठाधीश्वर यशवीर महाराज ने इस मंदिर को फिर से जागृत किया।
यशवीर महाराज ने कहा कि 1992 के दंगों के बाद हिंदू समुदाय को यहां से पलायन करना पड़ा था, जिसके बाद इस मंदिर में पूजा अर्चना बंद हो गई थी। अब वह चाहते हैं कि मंदिर में नियमित रूप से पूजा होती रहे और इसके जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की। यशवीर महाराज ने 20 फरवरी को एक वीडियो बयान जारी कर बताया था कि वे 9 मार्च को इस मंदिर में हवन करेंगे और उसी दिन उन्होंने अपने शिष्यों के साथ मंदिर में पूजा अर्चना की।
इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे। यशवीर महाराज सुबह 11 बजे देवबंद पहुंचे और अपने शिष्यों के साथ बैरून कोटला स्थित खंडहर में तब्दील हो चुके मंदिर का ताला खोला। इसके बाद उन्होंने मंदिर के आंगन में हवन-पूजन किया और मंत्रोच्चार किए। पूजा के बाद भगवान शिव, भगवान गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया और मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया। इस अवसर पर खीर का प्रसाद वितरित किया गया और हिंदू समाज के लोगों से मंदिर में पूजा करने की अपील की गई।
इस कार्यक्रम में आचार्य मृगेंद्र, ठा. सुरेंद्रपाल सिंह, आदित्य राणा, अमन ठाकुर, प्रताप पुंडीर, अमन पारचा, राहुल धीमान, रवि चौधरी, हरिओम सोम और गौतम प्रधान जैसे लोग भी मौजूद रहे। पूजा के बाद यशवीर महाराज दो घंटे में देवबंद से रवाना हो गए।
इस आयोजन के दौरान एसडीएम युवराज सिंह, सीओ रविकांत पाराशर और कोतवाली प्रभारी बीनू सिंह ने मौके पर सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की, जबकि खुफिया विभाग के अधिकारी हर पल की जानकारी लेते रहे। मंदिर के रास्ते पर भी पुलिस तैनात रही।
इससे पहले 20 फरवरी को यशवीर महाराज ने एक वीडियो बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि बैरून कोटला मोहल्ले में सैनी समाज के लोग पहले रहते थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय ने उन्हें यहां से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया था। इसके बाद मंदिर खंडहर में बदल गया था।
भागीरथी शिव मंदिर सेवा समिति ने बताया कि 20 साल पहले इस मंदिर से मूर्तियां हटा कर इंदिरा विहार कॉलोनी स्थित एक अन्य मंदिर में स्थापित कर दी गई थीं और उन्होंने प्रशासन से इस मामले में बाहरी हस्तक्षेप को रोकने की अपील की थी।