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खतरे की दस्तकः भारत-पाक बार्डर पर हलचल तेज ! महिलाओं और बच्चों को दी जा रही खास ट्रेनिंग

Edited By Tanuja,Updated: 27 Apr, 2025 06:33 PM

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भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सीमा पार से बढ़ती फायरिंग के बीच गांवों में दहशत का माहौल है। वर्षों से बंद पड़े बंकरों की सफाई की जा रही है और...

International Desk:  भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सीमा पार से बढ़ती फायरिंग के बीच गांवों में दहशत का माहौल है। वर्षों से बंद पड़े बंकरों की सफाई की जा रही है और किसान जल्दबाजी में अपनी फसल समेटने में जुट गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं और स्थानीय प्रशासन भी युद्ध जैसे हालात की आशंका को देखते हुए तैयारी कर रहा है। कम्युनिटी बंकर, जो बरसों से बंद पड़े थे और जिनमें घास उग आई थी, अब तेजी से साफ किए जा रहे हैं। सीमावर्ती गांवों में पुरुष अपने घरों की महिलाओं और बच्चों को बंकरों के इस्तेमाल के तरीके सिखा रहे हैं, ताकि अगर अचानक फायरिंग हो जाए तो जान बचाई जा सके।

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सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना ने नौगाम, उड़ी, केरन और तंगधार सेक्टरों में शुक्रवार रात भारी फायरिंग की। भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। करनाह सेक्टर के एक स्थानीय निवासी नजाकत अहमद ने कहा, "कई सालों बाद शांति आई थी, लेकिन अब फिर से युद्धविराम उल्लंघन का डर सताने लगा है।" नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों के किसान समय से पहले अपनी गेहूं की फसल काट रहे हैं। पुंछ और अरनिया सेक्टरों के किसानों का कहना है कि अगर गोलाबारी शुरू होती है तो सबसे पहले उनकी फसल जलकर तबाह होती है। एक महीने पहले फसल काटने से नुकसान तो हो रहा है, लेकिन जान-माल की सुरक्षा जरूरी है।

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बीएसएफ ने सीमा चौकियों पर गतिविधियां बढ़ा दी हैं। अधिक कंबाइन मशीनें मंगवाई जा रही हैं ताकि सीमावर्ती इलाकों से फसल जल्द समेटी जा सके। वहीं, बॉर्डर पर एक चौकी से दूसरी चौकी तक वाहनों की आवाजाही में भी बढ़ोतरी देखी गई है। सीमा पार के पाकिस्तानी गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। वहां के किसान खेतों में नजर नहीं आ रहे हैं। स्थानीय भारतीय किसानों का कहना है कि पहले पाकिस्तानी गांवों से मस्जिदों की आवाजें आती थीं, लेकिन अब वहां भी खामोशी है। यह स्थिति किसी बड़ी योजना या तैयारी की ओर इशारा कर रही है।

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सुचेतगढ़ और फलोरा जैसे इलाकों में सामुदायिक बंकरों की हालत खराब है। कई बंकरों में बारिश का पानी भर जाता है क्योंकि माउंटी (छत का कवच) नहीं बना है। स्थानीय पंचायतों ने प्रशासन से माउंटी निर्माण की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। जहां पुरुष फसल कटाई में व्यस्त हैं, वहीं महिलाएं बंकरों की सफाई और देखभाल का जिम्मा उठा रही हैं। सीमावर्ती इलाकों में करीब 60% फसल की कटाई पूरी हो चुकी है, लेकिन मशीनों की कमी के कारण यह काम धीमा चल रहा है। किसान प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

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