'बीमार आपका बच्चा है तो हम क्या करें...' छुट्टी को लेकर कंपनी का ऐसा नोट कि लोगों ने किया विरोध

Edited By Mahima,Updated: 10 Sep, 2024 04:31 PM

the company s note regarding leave was such that people protested

कर्मचारी की छुट्टी की नीतियां अक्सर कामकाजी माहौल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, जिनसे कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को समर्थन मिलता है। हालांकि, हाल ही में एक कंपनी की छुट्टी नीति ने सोशल मीडिया पर विवाद उत्पन्न कर दिया है।

नेशनल डेस्क: कर्मचारी की छुट्टी की नीतियां अक्सर कामकाजी माहौल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, जिनसे कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को समर्थन मिलता है। हालांकि, हाल ही में एक कंपनी की छुट्टी नीति ने सोशल मीडिया पर विवाद उत्पन्न कर दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक कथित कंपनी मेमो रेडिट फोरम 'एंटीवर्क' पर शेयर किया गया, जो तात्कालिक रूप से वायरल हो गया और लोगों की आलोचना का पात्र बना।

कंपनी का विवादित नोट
मेमो में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कर्मचारियों के बच्चे बीमार होते हैं, तो उन्हें काम से छुट्टी लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नोट में लिखा गया है, "आपका बच्चा बीमार है इसलिए काम से छुट्टी कोई ठीक बहाना नहीं है और आपको ऐसा करने पर लिखित जवाब देना होगा। हम आपके बच्चों को काम पर नहीं रखते हैं और इसलिए उनकी बीमारी आपके लिए काम से छुट्टी लेने का कोई बहाना नहीं हो सकती है। लगे रहिए, टीम!"

सोशल मीडिया पर गुस्सा और आलोचना
इस नोट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। रेडिट पर यूजर्स ने कंपनी की इस नीति की कड़ी आलोचना की है और इसे कर्मचारियों के परिवारिक जीवन के प्रति असंवेदनशील करार दिया है। एक यूजर ने लिखा, "क्या हमें अपने बीमार बच्चों को दफ्तर लाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए? इससे बाकी कर्मचारियों के बीच बीमारी फैल सकती है।" कई अन्य यूजर्स ने कंपनी की इस नीति को 'अमानवीय' और 'बेवकूफी भरा' बताया, और कहा कि यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।

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नियोक्ता और कर्मचारी के बीच तनाव
कर्मचारी और नियोक्ता के बीच तनाव की इस स्थिति ने वर्कप्लेस कल्चर पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है। एक यूजर ने सवाल उठाया, "अगर हमारे बच्चों, पति-पत्नी, माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को नौकरी पर नहीं रखा जाता है, तो क्या हमें उन्हें मरता छोड़कर ऑफिस आना चाहिए?" इस पर कई लोगों ने टिप्पणी की कि इस प्रकार की नीति कर्मचारियों की भावनात्मक और मानसिक भलाई की अनदेखी करती है। इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन और उनके परिवार के मुद्दों को भी कामकाजी नीतियों में उचित स्थान मिलना चाहिए। वर्क-लाइफ बैलेंस की अवधारणा आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो गई है, और इस तरह की नीतियों को देखने और सुधारने की आवश्यकता है ताकि कर्मचारियों की व्यक्तिगत समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता बनी रहे।

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