कांग्रेस ने सरकार पर रेलवे को ‘नष्ट' करने का आरोप लगाया, अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की

Edited By Parveen Kumar,Updated: 18 Jun, 2024 06:55 PM

the congress accused the government of  destroying  the railways

सरकार पर भारतीय रेलवे को “नष्ट” करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कांग्रेस ने कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना के मद्देनजर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

नेशनल डेस्क : सरकार पर भारतीय रेलवे को “नष्ट” करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कांग्रेस ने कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना के मद्देनजर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। विपक्षी दल ने मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर दुर्घटना स्थल पर पहुंचने के लिए वैष्णव पर भी कटाक्ष करते हुए पूछा कि वह रेल मंत्री हैं या “रील मंत्री”। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब भी कोई रेल दुर्घटना होती है, मोदी सरकार के रेल मंत्री कैमरों की रोशनी में घटनास्थल पर पहुंचते हैं और ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे सब कुछ ठीक है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा, “नरेंद्र मोदी जी, हमें बताएं कि किसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, रेल मंत्री को या आपको?” खरगे ने सरकार से सात सवाल पूछे और जवाब मांगे। उन्होंने पूछा कि बालासोर जैसी बड़ी दुर्घटना के बाद, बहुचर्चित “कवच” ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली का दायरा एक किलोमीटर भी क्यों नहीं बढ़ाया गया?

कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा, “रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली क्यों हैं, पिछले 10 सालों में उन्हें क्यों नहीं भरा गया? एनसीआरबी (2022) की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2021 के बीच ही रेल दुर्घटनाओं में 1,00,000 लोगों की मौत हुई है! इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने स्वयं स्वीकार किया है कि मानव बल की भारी कमी के कारण इंजन चालकों का लंबे समय तक काम करना दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है। उन्होंने पूछा कि इन पदों को क्यों नहीं भरा गया। खरगे ने पूछा, “अपनी 323वीं रिपोर्ट में संसद की स्थायी समिति ने रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई ‘उपेक्षा' के लिए रेलवे की आलोचना की थी।

यह रेखांकित किया गया कि सीआरएस केवल 8 से 10 प्रतिशत दुर्घटनाओं की जांच करता है, सीआरएस को मजबूत क्यों नहीं किया गया?” उन्होंने पूछा कि कैग के अनुसार, ‘राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष' (आरआरएसके) में 75 प्रतिशत धनराशि क्यों कम कर दी गई, जबकि हर साल 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाने थे। खरगे ने आगे पूछा कि रेलवे अधिकारियों द्वारा इस धन का उपयोग अनावश्यक खर्चों और सुख सुविधाओं पर क्यों किया जा रहा है? खरगे ने कहा, “रेल में सामान्य शयनयान श्रेणी में यात्रा करना इतना महंगा क्यों हो गया है? शयनयान की संख्या क्यों कम कर दी गई है? रेल मंत्री ने हाल ही में कहा कि रेल डिब्बों में ‘अधिक भीड़' करने वालों के खिलाफ पुलिस बल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन क्या उन्हें यह नहीं पता कि पिछले साल सीटों की भारी कमी के कारण 2.7 करोड़ लोगों को अपनी टिकटें रद्द करानी पड़ीं - जो कि मोदी सरकार की डिब्बों की संख्या कम करने की नीति का सीधा नतीजा है?”

उन्होंने पूछा कि क्या मोदी सरकार ने किसी भी तरह की जवाबदेही से बचने के लिए 2017-18 में रेल बजट को आम बजट में मिला दिया था? खरगे ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “आत्म-प्रशंसा से मोदी सरकार द्वारा भारतीय रेलवे पर की गई आपराधिक लापरवाही को कम नहीं किया जा सकेगा! शीर्ष स्तर पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है।” यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जहां तक ​​मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों का सवाल है, रेलवे शायद परिवहन का सबसे पसंदीदा साधन है, क्योंकि यह परिवहन का सबसे किफायती साधन है। उन्होंने पिछले साल जून में बालासोर में हुए रेल हादसे और सोमवार को हुए हादसे की तस्वीरें दिखाते हुए पूछा कि इस दौरान क्या बदलाव आया है।

श्रीनेत ने बताया कि 2014-23 के बीच 1,117 रेल हादसे हुए हैं, यानी हर तीन दिन में एक हादसा। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस वैष्णव के इस्तीफे की मांग करती है, श्रीनेत ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है। एक संवेदनशील और जवाबदेह सरकार हर मंत्री और हर विभाग की जवाबदेही तय करेगी। 2014 से 2023 तक नौ वर्षों में 1,117 रेल दुर्घटनाएं क्यों हुईं? इसके लिए कौन जवाबदेह है?” श्रीनेत ने कहा, “अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल जून में बालासोर से इस साल जून तक रेलवे को न केवल आधुनिक बनाने बल्कि सुरक्षित बनाने के लिए क्या किया? जब तक आप जिम्मेदारी तय नहीं करेंगे, जब तक आप जवाबदेही तय नहीं करेंगे, लोग शासन पर कैसे भरोसा करेंगे, लोग कैसे जानेंगे कि रेलवे में यात्रा करते समय वे सुरक्षित रहेंगे।” उन्होंने कहा, “बिल्कुल, बिना किसी संदेह के, बिना पलक झपकाए, अश्विनी वैष्णव को उस पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, जिसका वह आनंद ले रहे हैं।” 

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