मंदिर के पुजारी ने लड़के के साथ किया कुकर्म, कोर्ट ने सुनाई 15 साल की जेल की सजा

Edited By Pardeep,Updated: 09 Aug, 2024 10:37 PM

the court sentenced the temple priest to 15 years of imprisonment

दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में एक लड़के से कुकर्म के अपराध के लिए एक पुजारी को 15 वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई और कहा कि यह अपराध इसलिए गंभीर है, क्योंकि अपराधी ने मंदिर में नियमित स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले लड़के का यौन शोषण किया।

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में एक लड़के से कुकर्म के अपराध के लिए एक पुजारी को 15 वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई और कहा कि यह अपराध इसलिए गंभीर है, क्योंकि अपराधी ने मंदिर में नियमित स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले लड़के का यौन शोषण किया। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरलीन सिंह उस व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसे पिछले महीने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराधों), 506 (आपराधिक धमकी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह और 10 के तहत दोषी करार दिया गया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक अंकित अग्रवाल ने दोषी को अधिकतम सजा देने का अनुरोध करते हुए कहा कि अपराध जघन्य है। 

अदालत में पेश मामले के तथ्यों के अनुसार लड़का दिल्ली में एक आवासीय इलाके में स्थित मंदिर में स्वेच्छापूर्वक सफाई करता था, जहां पर पुजारी ने उसका यौन शोषण किया और उसे अपना गुप्तांग छूने के लिए मजबूर किया। अदालत ने कहा कि करीब दो महीने तक उसका उत्पीड़न जारी रहा, जिसके बाद लड़का पुलिस के पास गया और एक प्राथमिकी दर्ज की गई। 

अदालत ने बुधवार को पारित एक आदेश में कहा, "अपराध के समय दोषी की उम्र 43 साल थी, जबकि पीड़ित लड़का 15 साल का था। इसके अलावा, दोषी मंदिर का पुजारी होते हुए उससे यौन संबंध बनाता था। उक्त मंदिर में नियमित स्वयंसेवक के तौर पर काम करने वाले नाबालिग लड़के का यौन शोषण होने से अपराध की गंभीरता बढ़ गई।”

अदालत ने कहा, "सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, दोषी को पॉक्सो अधिनियम की धारा-छह के तहत अपराध के लिए 15 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई जाती है और 50,000 रुपये जुर्माना लगाया जाता है।” 

अदालत ने पुजारी को आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध के लिए 10 साल के सश्रम कारावास, आपराधिक धमकी के अपराध के लिए एक साल की साधारण कैद और पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 के तहत अपराध करने के लिए पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। 

अदालत ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। आदेश में कहा गया है कि अदालतों को बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से "अत्यंत संवेदनशीलता" के साथ निपटना चाहिए, क्योंकि यह "बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ अपराध" है। मिली जानकारी के अनुसार दोषी एक सुरक्षाकर्मी के रूप में भी काम करता था और उसके चार बेटे और इतनी ही बेटियां हैं। 

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