इतिहास में पहली बार, Cancer का इलाज करने वाले डॉक्टर को ही हो गया कैंसर, जानें मरीज के साथ क्या हुआ?

Edited By Parveen Kumar,Updated: 04 Jan, 2025 08:24 PM

the doctor who treated cancer got cancer himself

एक सर्जन ने कैंसर के इलाज के दौरान खुद को इस घातक बीमारी से संक्रमित कर लिया। यह मामला अपनी तरह का पहला माना जा रहा है।

नेशनल डेस्क : एक सर्जन ने कैंसर के इलाज के दौरान खुद को इस घातक बीमारी से संक्रमित कर लिया। यह मामला अपनी तरह का पहला माना जा रहा है। सर्जरी करते समय डॉक्टर के हाथ पर कट लग गया, और इस कारण मरीज के ट्यूमर की कोशिकाएं उनके शरीर में प्रवेश कर गईं, जिससे डॉक्टर को भी कैंसर हो गया। यह घटना जर्मनी के 32 वर्षीय व्यक्ति के ऑपरेशन के दौरान हुई, जो एक दुर्लभ प्रकार के कैंसर से पीड़ित था और उसके पेट से ट्यूमर हटाया जा रहा था।

कैसे हुआ यह संक्रमण?

सर्जन का हाथ उस समय कट गया जब वह मरीज में ड्रेन लगाने की कोशिश कर रहे थे। घाव को तुरंत डिसइंफेक्ट किया गया और बैंडेज लगा दिया गया। लेकिन करीब पांच महीने बाद, डॉक्टर ने अपनी मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) के बेस पर एक कठोर गांठ महसूस की, जो धीरे-धीरे बढ़ने लगी। जांच करने पर यह गांठ एक घातक ट्यूमर के रूप में सामने आई, जो उसी कैंसर के प्रकार का था, जो मरीज को था।

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कैसे हुआ डॉक्टर को कैंसर?

डॉक्टरों ने माना कि यह ट्यूमर मरीज के ट्यूमर कोशिकाओं के सर्जन के कटे हुए घाव में प्रवेश करने के कारण हुआ। आमतौर पर शरीर बाहरी कोशिकाओं को स्वीकार नहीं करता, लेकिन इस मामले में सर्जन का शरीर इन कोशिकाओं को स्वीकार कर बैठा।

इस घटना की गंभीरता

यह मामला पहले 1996 में रिपोर्ट किया गया था, लेकिन अब यह फिर से चर्चा में है। डॉक्टरों ने इसे एक अत्यंत दुर्लभ कैंसर "मैलिग्नेंट फाइब्रोस हिस्टियोसाइटोमा" के रूप में पहचाना, जिसे आमतौर पर साल में सिर्फ 1,400 मामलों में देखा जाता है।

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सर्जन का इलाज

मरीज की सर्जरी तो सफल रही थी, लेकिन जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई। सर्जन का ट्यूमर भी हटा लिया गया और माइक्रोस्कोप के तहत जांच की गई, जिसमें यह पुष्टि हुई कि यह भी वही कैंसर था, जो मरीज में था। डॉक्टरों ने यह सवाल उठाया कि क्या यह ट्यूमर आपस में जुड़े हुए थे, क्योंकि दोनों में एक जैसे सेल्स थे।

सर्जन का इलाज करने वाले डॉक्टर ने यह निष्कर्ष निकाला कि इस घटना में ट्यूमर के आसपास सूजन तो पाई गई, लेकिन ट्यूमर का आकार बढ़ने से यह संकेत मिला कि एंटीट्यूमर इम्यून रिस्पॉन्स काम नहीं कर रहा था। हालांकि, ट्यूमर हटाने के बाद सर्जन में कैंसर के पुनः होने या फैलने के कोई संकेत नहीं थे।

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