संविधान का उद्देश्य "विकसित भारत" के साथ होगा साकार

Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Feb, 2025 04:08 PM

the dream of the constitution will come true with developed india

भारत का संविधान समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर आधारित है। इसका मूल उद्देश्य सभी को समान अवसर और न्याय प्रदान करना है। भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी विविधता के बावजूद एकता बनाए रखता है। चाहे भाषा, समाज, क्षेत्र या आर्थिक स्थिति के दृष्टिकोण से फर्क...

नेशनल डेस्क: भारत का संविधान समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर आधारित है। इसका मूल उद्देश्य सभी को समान अवसर और न्याय प्रदान करना है। भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी विविधता के बावजूद एकता बनाए रखता है। चाहे भाषा, समाज, क्षेत्र या आर्थिक स्थिति के दृष्टिकोण से फर्क हो, हमने 'विकसित भारत' का सपना देखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे स्वतंत्रता के 75वें वर्ष से लेकर शताब्दी वर्ष तक के समय को 'अमृत काल' कहा है और 2047 तक हम उन सपनों को साकार करेंगे, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने देखे थे।

संविधान और हमारी जिम्मेदारियां
भारत का संविधान न केवल हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह हमें हमारी जिम्मेदारियों की भी दिशा दिखाता है। संविधान की मंशा थी कि सभी सरकारी इकाइयां- केंद्रीय और राज्य सरकारें, और स्थानीय निकाय, आपस में मिलकर काम करें। संविधान सभा के 299 सदस्य थे, जिनमें से 19 सदस्य मध्यप्रदेश से थे। संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर, जो मंझोले जिले के महू में जन्मे थे, ने संविधान की रूपरेखा तैयार की। इसके अलावा, हरिसिंह गौर, रविशंकर शुक्ल और सेठ गोविंद दास जैसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं ने संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी ने संविधान को स्वराज से जोड़ा, जिसमें आत्म-निर्भरता, आत्म-शासन, और आत्म-सम्मान की भावना निहित थी।

प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण और "सबका साथ, सबका विकास"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'सबका साथ, सबका विकास' (सामूहिक प्रयास, समावेशी विकास) दृष्टिकोण हमारे संविधान की उद्देशिका का विस्तार है। इसने पूरे देश में नई ऊर्जा का संचार किया है। आज, नीति आयोग के माध्यम से 'टीम इंडिया' का दृष्टिकोण राज्यों के मुख्यमंत्रियों में जिम्मेदारी की भावना को प्रबल कर रहा है। संविधान दिवस की घोषणा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी, जिससे संविधान की भावना आम जनता, छात्रों और नीति निर्माताओं तक पहुंच सकी।

संविधान में सुधार और संघ-राज्य संबंध
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, संघ-राज्य संबंधों को संविधानीक रूप से मजबूत किया गया है। जीएसटी काउंसिल और नीति आयोग जैसी संस्थाओं के माध्यम से राज्यों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व और भागीदारी मिली है। Article 356 के दुरुपयोग को समाप्त कर दिया गया है, जो पहले चुनी हुई राज्य सरकारों को भंग करने के लिए उपयोग किया जाता था। संविधान में प्रावधान है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहमति और तालमेल होना चाहिए, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत रहे। एक राष्ट्र, एक चुनाव का दृष्टिकोण भी संविधानिक शासन को मजबूत करने और लोकतंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

मध्यप्रदेश का योगदान और विकास की दिशा
मध्यप्रदेश सरकार संविधान के मूल्यों के साथ काम कर रही है, जो शांति, सुरक्षा, सामंजस्य, और समान अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 'विकसित मध्यप्रदेश' का उद्देश्य 'विकसित भारत' से जुड़ा हुआ है। प्रदेश सरकार भारत@2047 योजना के तहत ऊर्जा, अंतरराज्यीय समन्वय और सांस्कृतिक-सामाजिक पुनरुत्थान जैसे कई मोर्चों पर काम कर रही है। केन-बेतवा और पार्वती-कलसिंध-चंबल नदी जोड़ने की परियोजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के बीच सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

समावेशी विकास के लिए योजनाएं
मध्यप्रदेश सरकार "धरोहर और विकास" के मंत्र के तहत, गरीबों, युवाओं, किसानों, और महिलाओं के लिए 'ज्ञान' (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी) कार्यक्रम चला रही है, ताकि समावेशी और व्यापक विकास को तेजी से बढ़ावा मिल सके। केंद्रीय सरकार के साथ समन्वय बनाए रखते हुए, मध्यप्रदेश ने अपने दृष्टिकोण और क्षमताओं को विस्तारित किया है, जो संविधान की भावना और प्रदेश के लोगों की आकांक्षाओं के साथ मेल खाता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Kolkata Knight Riders

174/8

20.0

Royal Challengers Bangalore

177/3

16.2

Royal Challengers Bengaluru win by 7 wickets

RR 8.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!