Edited By Radhika,Updated: 11 Mar, 2025 06:39 PM

राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की रेप पीड़िता के मामले में अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में बच्ची को गर्भपात की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता जबरदस्ती बच्चे को जन्म देती है, तो उसे शारीरिक और मानसिक पीड़ा उठानी पड़ेगी।
नेशनल डेस्क : राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की रेप पीड़िता के मामले में अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में बच्ची को गर्भपात की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता जबरदस्ती बच्चे को जन्म देती है, तो उसे शारीरिक और मानसिक पीड़ा उठानी पड़ेगी। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस मामले में अदालत ने महिला चिकित्सालय सांगानेर (जयपुर) की सुप्रीडेंटेड को निर्देश दिए है कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया और गर्भपात के प्रोसेस को पूरा किया। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर जिंदा मिलता है तो उसे जीवित रखने के लिए पूरी व्यवस्था की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा उसके पालन- पोषण पर पूरा खर्च करेगी। वहीं डीएनए रिपोर्ट के लिए टिश्यू को संरक्षित किया जाएगा।
गर्भपात की इजाजत मिली-
इस घटना में पीड़िता के वकील सोनिया शांडिल्य का कहना है कि पीड़िता 27 हफ्ते 6 दिन की गर्भवती थी। उसके माता- पिता लड़की का गर्भपात करवाना चाहते हैं। वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि इससे पहले भी देश में कई मामलों में गर्भपात की अनुमति दी गई है। यहां तक कि 28 हफ्ते की गर्भवती महिलाओं को भी कोर्ट ने राहत दी है।
माता-पिता चाहते थे गर्भपात-
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने तीन विशेषज्ञों से मेडिकल रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें बताया गया कि गर्भपात में जोखिम तो है, लेकिन यह किया जा सकता है। कोर्ट ने 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर गर्भ किसी बलात्कार के कारण है, तो इससे पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भपात की अनुमति दी जाती है।