Edited By Utsav Singh,Updated: 08 Oct, 2024 07:42 PM
हरियाणा में विधान सभा चुनाव के परिणाम आने से पहले लग रहा था कि प्रदेश में भाजपा को 10 साल की सत्ता विरोधी लहर का नुकसान होगा और कांग्रेस सत्ता में आ जाएगी लेकिन चुनाव परिणाम आने पर बाजी बिलकुल पलट गई और भाजपा ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगा दी।
नेशनल डेस्क : हरियाणा में विधान सभा चुनाव के परिणाम आने से पहले लग रहा था कि प्रदेश में भाजपा को 10 साल की सत्ता विरोधी लहर का नुकसान होगा और कांग्रेस सत्ता में आ जाएगी लेकिन चुनाव परिणाम आने पर बाजी बिलकुल पलट गई और भाजपा ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगा दी। विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की छवि जाट पार्टी की बनने के कारण उसे चुनाव में नुकसान हुआ क्योंकि जाट और गैर जाट के ध्रुवीकरण में अन्य वोटरों ने कांग्रेस से किनारा कर लिया।
2009 में कांग्रेस को 90 में से 67 सीटें हासिल हुई थी और उसे 42.46 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था इस दौरान कांग्रेस को न सिर्फ जाटों ने वोट दिया बल्कि पंजाबी और दलित वोटरों ने भी कांग्रेस पर भरोसा जताया था। इसी प्रकार 2009 के चुनाव में भी कांग्रेस को 40 सीटें हासिल हुई हालाँकि इस दौरान उसका वोट शेयर कम हो कर करीब 35 प्रतिशत पर आ गया लेकिन उसे अन्य समुदायों ने भी वोट दिया। इस चुनाव में जाट वोट का एक बड़ा हिस्सा आई एन एल डी को मिला था और उसे 25 प्रतिशत वोट के साथ 24 सीटें हासिल हुई थी लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस पर जाट पार्टी का टैग भारी पड़ा और उसे गैर जाट वोट पहली के चुनाव की भांति नहीं मिल पाया।
हुड्डा का चेहरा सामने होने के कारण ही कांग्रेस पर जाट पार्टी का टैग लगा गया जिसे कांग्रेस उतार नहीं पाया जिसका उसे चुनाव में नुकसान हुआ। हरियाणा में जाट आबादी करीब 27 फीसदी है और राज्य की 35-40 सीटों पर जाटों का सीधा प्रभाव माना जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 35 जाट उम्मीदवार उतारे थे. 2014 में कांग्रेस जाटलैंड में आई एन एल डी से पिछड़ गई थी। कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 15 सीटें भी आई थीं, जबकि आई एन एल डी 19 सीटें जीतने में सफल रही - नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में आने से चूक गई, और बीजेपी बाजी मार ले गई।
2019 में जेजेपी ने 10 सीटें जीत कर कांग्रेस का खेल खराब तो किया ही, बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाकर कांग्रेस को मौके से ही बेदखल कर दिया इस बार कांग्रेस की कोशिश थी कि जाट वोट उसी के पास रहे, लेकिन कांग्रेस को न तो जाट वोट पूरी तरह हासिल हुआ और न ही वह अन्य वर्गों का पूरा वोट हासिल कर पाई।