दिल्ली एम्स का सफर खत्म, घर के नजदीक मिलेगा एम्स जैसा इलाज, बन रही खास पॉलिसी

Edited By Parveen Kumar,Updated: 30 Dec, 2024 10:18 PM

the journey of delhi aiims is over

दिल्ली के एम्स अस्पताल में हर मरीज़ बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ पहुंचता है। यहां की विश्वसनीयता और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। इसका नतीजा यह है कि अब एम्स में इलाज के लिए आए कई जरूरतमंद मरीजों को समय पर स्वास्थ्य...

नेशनल डेस्क : दिल्ली के एम्स अस्पताल में हर मरीज़ बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ पहुंचता है। यहां की विश्वसनीयता और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। इसका नतीजा यह है कि अब एम्स में इलाज के लिए आए कई जरूरतमंद मरीजों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।

इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने एक नई योजना "वन रेफरल पॉलिसी" का ऐलान किया है। इस पॉलिसी के तहत, यदि कोई मरीज़ दिल्ली के एम्स में इलाज करवाने के बाद फिर से फॉलो-अप के लिए आता है, तो उसे अब अपने घर के पास के एम्स, जैसे पटना या अन्य शहरों में ही इलाज मिल सकेगा। दिल्ली एम्स के डॉक्टर, अन्य राज्य के एम्स के डॉक्टरों से संपर्क करके मरीज का इलाज कर सकेंगे।

डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि इस पॉलिसी का मैकेनिज्म तैयार कर लिया गया है और इसे सरकार से हरी झंडी मिलना बाकी है। इस पॉलिसी से देशभर में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होंगी और भीड़-भाड़ भी कम होगी। इसके अलावा, डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि एम्स में इमरजेंसी मरीजों के लिए इंतजार की समस्या को दूर करने के लिए 200 बेड्स वाली एक नई क्रिटिकल केयर बिल्डिंग बनाई जाएगी। इससे गंभीर मरीजों को जल्दी इलाज मिलेगा। साथ ही, एम्स में AI सिक्योरिटी भी लागू की जाएगी ताकि साइबर अटैक जैसी घटनाओं से बचा जा सके।

एम्स के बारे में बताते हुए डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि अब दिल्ली एम्स पूरी तरह से डिजिटल हो चुका है। यहां पेपरलेस सिस्टम और ई-ऑफिस की शुरुआत हो चुकी है। हर साल एम्स में करीब 50 लाख मरीज़ ओपीडी में आते हैं और 3 लाख मरीज़ भर्ती होते हैं। इसके अलावा, 3 लाख सर्जरी भी की जाती हैं। एम्स की बेड कैपेसिटी अब 3600 हो चुकी है और भविष्य में 900 और बेड्स की योजना है।

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