पहली ही फिल्म में बनी lesbian किया ‘फायर’, दो शादी करने वाली हसीना की जिंदगी में आया ‘बवंडर’

Edited By Mahima,Updated: 07 Nov, 2024 12:28 PM

the lesbian who became a lesbian in her first film created fire

नंदिता दास, भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्री और निर्देशक, अपनी सांवली सूरत और बेबाक अभिनय के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने "फायर" जैसी विवादास्पद फिल्म से करियर की शुरुआत की। निजी जीवन में दो शादियां और तलाक के बावजूद, नंदिता ने अपने आत्मविश्वास और...

नेशनल डेस्क: नंदिता दास भारतीय सिनेमा की एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होंने अपने अभिनय से हमेशा दर्शकों का दिल जीता है। वह केवल एक बेहतरीन अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। नंदिता ने अपनी फिल्मों और निजी जीवन से कई बार चर्चा का विषय बनीं, उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। आज, उनके जन्मदिन के खास मौके पर हम उनकी जिंदगी के उन पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नंदिता दास का जन्म 7 नवंबर 1969 को मुंबई में हुआ था, हालांकि उनका पालन-पोषण दिल्ली में हुआ। उनके पिता जतिन दास एक प्रसिद्ध बंगाली कलाकार थे, जबकि उनकी मां गुजराती थीं। उनके परिवार में एक छोटा भाई भी है, जो क्रिएटिव डिजाइनर हैं। नंदिता की शिक्षा दिल्ली के मिरांडा हाउस से हुई, जहां से उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई में भी वह काफी अव्‍वल थीं, और उनकी पारिवारिक पृष्‍ठभूमि भी कलाकारों से जुड़ी हुई थी।

फिल्मी करियर की शुरुआत
नंदिता दास ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत 1996 में फिल्म **"फायर"** से की। यह फिल्म एक कड़ी आलोचना का शिकार हुई थी क्योंकि इसमें नंदिता ने शबाना आजमी के साथ एक लेस्बियन का किरदार निभाया था। फिल्म में कई बोल्ड और संवेदनशील सीन थे, जिनमें एक लिप लॉक सीन भी था, जो उस समय के दर्शकों के लिए चौंकाने वाला था। इस फिल्म ने नंदिता को रातोंरात स्टार बना दिया, लेकिन इसके साथ ही उन्हें कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। विशेषकर इस फिल्म को थिएटरों में जगह नहीं मिली, और इसे सिर्फ यूट्यूब पर रिलीज किया गया। "फायर" के बाद नंदिता ने कई अन्य फिल्मों में भी अभिनय किया, जैसे "एक थी गूंजा", "हजार चौरासी की मां", "लाल सलाम" और "बवंडर"। इन फिल्मों में नंदिता ने विविध प्रकार के किरदार निभाए। नंदिता का अभिनय न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी बेहद गहरा था। उन्होंने हमेशा ही सामाजिक मुद्दों को उठाया और अपने अभिनय के माध्यम से दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया। 

सांवली सूरत की वजह से आलोचनाएँ
बॉलीवुड में अक्सर एक अभिनेत्री की सफलता का मापदंड उसकी सुंदरता और रंग को माना जाता है, लेकिन नंदिता दास ने इस धारणा को चुनौती दी। अपनी सांवली सूरत की वजह से उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोग अक्सर उन्हें ट्रोल करते थे, और यह माना जाता था कि उनके काले रंग की वजह से वह उतनी आकर्षक नहीं दिखतीं जितनी कि एक गोरी अभिनेत्री होती। इस विषय पर नंदिता ने कई बार खुलकर बात की और कहा कि रंग किसी के व्यक्तित्व या अभिनय को परिभाषित नहीं कर सकता। उनका मानना था कि आत्मविश्वास और अभिनय क्षमता ही सबसे महत्वपूर्ण होती है, और उन्होंने कभी इन ट्रोल्स को अपनी राह में रुकावट नहीं बनने दिया। नंदिता ने खुद को इस पर काबू पा लिया और अपनी कला से दुनिया को दिखा दिया कि सच्ची सफलता किसी बाहरी रूप-रंग से नहीं, बल्कि मेहनत और प्रतिबद्धता से मिलती है।

निजी जीवन: शादियाँ और तलाक
नंदिता दास का निजी जीवन भी काफी चर्चित रहा है। उन्होंने पहली शादी 2002 में सौम्य सेन से की थी। सौम्य सेन एक क्‍लासिकल डांसर थे, लेकिन यह रिश्‍ता ज्यादा समय तक नहीं चल सका और 2007 में उनका तलाक हो गया। तलाक के बाद नंदिता की जिंदगी में एक नया मोड़ आया, जब वह मुंबई के उद्योगपति **सुबोध मस्कारा** के साथ जुड़ीं। 2010 में उन्‍होंने सुबोध से दोबारा शादी की, लेकिन यह रिश्‍ता भी ज्‍यादा लंबा नहीं चला। 2017 में दोनों का तलाक हो गया, और नंदिता फिर से सिंगल हो गईं। इस तलाक के बाद नंदिता अपने बेटे के साथ खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रही हैं। नंदिता ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम ही बात की है, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने बेटे को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी और अपने व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखा। अब वह फिल्मों से कुछ हद तक दूर हो चुकी हैं और अपनी अन्य रुचियों में भी समय बिता रही हैं।

सामाजिक कार्य और डायरेक्शन में कदम
नंदिता दास केवल फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं हैं, उन्होंने सामाजिक कार्यों में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय रही हैं और महिलाओं के अधिकारों, बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, और अन्य समाजसेवी पहलुओं में भाग लेती हैं। इसके अलावा, नंदिता दास ने फिल्मों के निर्देशन में भी कदम रखा। उन्होंने अपनी पहली फिल्म "फिराक" 2008 में निर्देशित की थी, जो एक संवेदनशील और सामाजिक मुद्दे पर आधारित थी। इस फिल्म को काफी सराहा गया और नंदिता को एक सफल निर्देशक के रूप में भी मान्यता मिली। 

नंदिता दास: एक प्रेरणा
नंदिता दास का जीवन कई मायनों में प्रेरणादायक है। उनकी फिल्मों और निजी जीवन में आए उतार-चढ़ाव हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में किसी भी समस्या या आलोचना को झेलते हुए भी अपने मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। उनका संघर्ष और सफलता यह साबित करता है कि अपने आत्मविश्वास, ईमानदारी और मेहनत से कोई भी मुश्किल हल की जा सकती है। आज भी नंदिता दास अपने अभिनय, लेखन और सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही हैं।

 

 

 

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