Edited By Mahima,Updated: 02 Dec, 2024 04:28 PM
संसद में संविधान के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में 13-17 दिसंबर को बहस होगी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों में चर्चा होगी। यह निर्णय केंद्र और विपक्ष के बीच हुई सहमति के बाद लिया गया। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल संविधान, अल्पसंख्यकों के...
नेशनल डेस्क: संसद में केंद्र और विपक्ष के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत लोकसभा और राज्यसभा दोनों में संविधान को अपनाए जाने के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में बहस आयोजित की जाएगी। यह बहस लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को और राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को होगी। इस बहस में संविधान की ऐतिहासिक अहमियत और इसके प्रभाव पर गहरी चर्चा की जाएगी।
संसदीय गतिरोध का अंत
यह महत्वपूर्ण सहमति उस समय हुई, जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं ने संविधान पर बहस करने की तारीख तय की। संसद में लंबे समय से चल रहे गतिरोध को समाप्त करते हुए यह निर्णय लिया गया। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, "संविधान पर यह बहस 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में और 16 और 17 दिसंबर को राज्यसभा में होगी।" उन्होंने आगे कहा, "संसदीय कार्यवाही को बाधित करना उचित नहीं है। हम सभी विपक्षी दलों के नेताओं से अपील करते हैं कि वे इस समझौते पर अमल करें और संसद के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करें।"
संविधान पर चर्चा के मुख्य मुद्दे
लोकसभा और राज्यसभा में होने वाली इन बहसों में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर अपना पक्ष रखेंगे। वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद संभल हिंसा को लेकर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, इन बहसों में संविधान के महत्व, उसकी धारा, और भारतीय लोकतंत्र में उसकी भूमिका पर भी विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस बहस का उद्देश्य संविधान की अवहेलना और उसके उल्लंघन से संबंधित मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाना है।
विपक्ष और सरकार के बीच सहयोग
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष से अनुरोध करते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही में कोई बाधा न डाली जाए और सभी दल संसद की कार्यवाही में सक्रिय रूप से भाग लें। उनका यह बयान संसद में सकारात्मक माहौल बनाने की ओर एक कदम है, ताकि संसद के सभी काम ठीक से चल सकें।
संसदीय कार्यवाही को लेकर मंत्रियों और विपक्षी नेताओं का समर्थन
इस बीच, संसद में बहस के लिए तारीख तय होने पर केंद्रीय मंत्री और विपक्षी नेताओं ने इस समझौते को महत्वपूर्ण बताया है। विपक्ष ने इस अवसर का इस्तेमाल संविधान के महत्व को स्पष्ट करने के लिए करने की योजना बनाई है। इस तरह से संविधान पर होने वाली बहस को लेकर संसद में एक महत्वपूर्ण माहौल तैयार हो रहा है, जिसमें सभी दल अपने मुद्दों को उठाकर संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करेंगे। लोकसभा और राज्यसभा में संविधान के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में होने वाली यह बहस भारतीय लोकतंत्र की ताकत और संविधान की भूमिका पर गंभीर विचार विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगी। इससे देशभर में संविधान के प्रति लोगों का ज्ञान बढ़ेगा और लोकतांत्रिक संस्थाओं के महत्व को और अधिक बल मिलेगा।