Edited By Parminder Kaur,Updated: 25 Feb, 2025 12:33 PM
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इंदौर की सेशन कोर्ट ने दो मुस्लिम व्यक्तियों और एक नाबालिग जैन बच्चे की मां को अपने बेटे का धर्म परिवर्तन करवाकर जबरन उसे मुसलमान बनाने के आरोप में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने तीनों को जाली दस्तावेज बनाने के लिए 10 साल और जबरन धर्मांतरण के लिए सात साल...
नेशनल डेस्क. इंदौर की सेशन कोर्ट ने दो मुस्लिम व्यक्तियों और एक नाबालिग जैन बच्चे की मां को अपने बेटे का धर्म परिवर्तन करवाकर जबरन उसे मुसलमान बनाने के आरोप में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने तीनों को जाली दस्तावेज बनाने के लिए 10 साल और जबरन धर्मांतरण के लिए सात साल की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाहा ने इस मामले में बच्चे की मां प्रार्थना शिवहरे (27), उसके प्रेमी इलियास अहमद कुरैशी (33) और एक अन्य आरोपी मोहम्मद जफर अली (37) पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
मामला क्या था?
अभियोजन के अनुसार, राजस्थान के महेश कुमार नाहटा ने जुलाई 2023 में यह मामला दर्ज करवाया था। महेश ने बताया कि उसने 2014 में प्रार्थना से शादी की थी और जुलाई 2015 में उनका एक बेटा हुआ था। मार्च 2018 में महेश अपनी पत्नी और बेटे को शाजापुर से राजस्थान वापस ला रहा था। तभी उसे पता चला कि उसकी पत्नी और बेटे का जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया है और उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार रहने के लिए मजबूर किया गया। महेश ने आरोप लगाया कि इस सब के लिए फर्जी सरकारी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।
जाली दस्तावेज तैयार करने की साजिश
कोर्ट ने इन आरोपों को सही माना और कहा कि मोहम्मद जफर ने नाबालिग बच्चे का आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जाली तरीके से तैयार किए थे। इस जालसाजी में प्रार्थना और इलियास की संलिप्तता और मंशा के बिना यह सब संभव नहीं हो सकता था।
सजा और जुर्माना
कोर्ट ने जाली दस्तावेज तैयार करने के मामले में भारतीय दंड संहिता के तहत और जबरन धर्मांतरण के लिए मध्यप्रदेश धर्म स्वातंर्त्य कानून के तहत प्रार्थना, इलियास और जफर को सजा सुनाई है। सभी को 10-10 साल की सजा और 7 साल की सजा दी गई है। साथ ही 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।