'मेरा दर्द समझिए...' पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट के आरोपी को जमानत मिलने पर मृतक बेटी की मां के छलके आंसू

Edited By Yaspal,Updated: 26 Jun, 2024 05:54 AM

the mother shed tears after the accused of pune porsche car accident got bail

महाराष्ट्र के पुणे में हुई पोर्श कार दुर्घटना में अपनी बेटी को खोने वाली एक महिला ने मंगलवार को अदालत से गुहार लगाई कि उसे इस मामले में एक मां का दर्द समझ कर "सही फैसला" करना चाहिए

नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र के पुणे में हुई पोर्श कार दुर्घटना में अपनी बेटी को खोने वाली एक महिला ने मंगलवार को अदालत से गुहार लगाई कि उसे इस मामले में एक मां का दर्द समझ कर "सही फैसला" करना चाहिए। इस मामले के नाबालिग आरोपी को निगरानी गृह से तुरंत रिहा किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद महिला ने यह भावुक बयान दिया।

पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को तड़के हुई दुर्घटना में मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले दो आईटी पेशेवरों-अश्विनी कोष्टा और उनके दोस्त अनीश अवधिया की मौत हो गई थी। हादसे के वक्त दोनों आईटी पेशेवर उस दोपहिया वाहन पर सवार थे, जिसे कथित तौर पर कार चला रहे नाबालिग ने रौंद दिया था।

पुलिस को संदेह है कि नाबालिग लड़का नशे में कार चला रहा था। बंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने मंगलवार को किशोर को निगरानी गृह से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने नाबालिग लड़के को निगरानी गृह भेजे जाने के किशोर न्याय बोर्ड के आदेश को अवैध करार देते हुए यह आदेश जारी किया।

पोर्श कार दुर्घटना में जान गंवाने वाली अश्विनी कोष्टा की मां ममता कोष्टा ने संवाददाताओं से कहा,"यह खबर देखकर मैं स्तब्ध रह गई। हालांकि, मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कुछ सोच कर यह फैसला किया होगा। मेरी न्यायपालिका से बस एक गुजारिश है कि वह एक मां का दर्द समझे। मैंने अपनी बेटी को खोया है। दोषी को सजा मिलनी चाहिए। इस मामले में सही न्याय होना चाहिए ताकि न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा बरकरार रह सके।''

मृतक की मां ने याद दिलाया कि महाराष्ट्र सरकार ने भी उन्हें भरोसा दिलाया है कि उन्हें न्याय मिलेगा। कोष्टा ने कहा,‘‘मुझे नहीं पता कि कानून में क्या प्रावधान हैं, लेकिन वहां (पुणे में) मेरी दिवंगत बेटी जैसी हजारों लड़कियां पढ़ रही हैं और नौकरी कर रही हैं। ऐसे सड़क हादसे बार-बार नहीं होने चाहिए। मेरी न्यायपालिका से बस एक गुजारिश है कि वह इस मामले में सही फैसला करे ताकि अपराध करने वाले व्यक्ति को सबक मिले।''

 

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