संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन कर रहा है नया वक्फ अधिनियम: विपक्षी दलों का आरोप

Edited By Rahul Rana,Updated: 14 Apr, 2025 04:34 PM

the new waqf act is violating the articles of the constitution

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। वामपंथी पार्टी ने अपने महासचिव डी राजा के माध्यम से एक रिट याचिका दायर करके दलील दी है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त...

नेशनल डेस्क: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। वामपंथी पार्टी ने अपने महासचिव डी राजा के माध्यम से एक रिट याचिका दायर करके दलील दी है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (विधेयक की समीक्षा के लिए गठित) के सदस्यों और अन्य हितधारकों द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर उचित विचार किए बिना जनता के विरोध के बावजूद पारित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत में वकील राम शंकर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति की सहमति के बाद पांच अप्रैल को प्रकाशित संशोधन अधिनियम, वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को काफी हद तक कम करता है और वक्फ अधिनियम, 1995 के ढांचे को मौलिक रूप से बदल देता है।

माकपा ने कहा, ‘‘यह वक्फ बोर्ड के प्रशासन पर केंद्र सरकार को अनियंत्रित अधिकार देता है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 25,26 और 29 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन होता है।'' इससे पहले, विभिन्न आधारों पर कानून को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएँ दायर की गई थीं। हाल ही में अभिनेता से नेता बने टीवीके अध्यक्ष विजय ने कानून को चुनौती दी थी राजनीतिक दलों के अलावा, एआईएमपीएलबी, जमीयत उलमा-ए-हिंद और समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा (केरल में सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों का एक धार्मिक संगठन) जैसे मुस्लिम निकायों ने भी शीर्ष अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। कांग्रेस सांसद जावेद की याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर ‘मनमाने प्रतिबंध' लगाता है जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होती है। 

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने एक बयान में कहा कि उनकी याचिका में संसद द्वारा पारित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि ये ‘मनमाने, भेदभावपूर्ण और बहिष्कार पर आधारित' हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ 16 अप्रैल को एक दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल है। दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है, क्योंकि यह ‘‘संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए'' का उल्लंघन करता है।

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