Edited By Mahima,Updated: 20 Jan, 2025 04:22 PM
आगामी बजट में आयकर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की संभावना जताई जा रही है। सरकार न्यू टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाने के लिए मानक कटौती सीमा बढ़ा सकती है और टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती है। इसके अलावा, ओल्ड टैक्स सिस्टम को समाप्त करने की योजना भी हो...
नेशनल डेस्क: अगला बजट भारतीय कर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है, खासकर आयकर के मामले में। मोदी सरकार ने पहले भी कई बड़े फैसले लेकर देश को चौंकाया है, जिनमें वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करना एक प्रमुख उदाहरण है। GST पर लंबे समय से चर्चा हो रही थी, लेकिन इसे लागू करना एक कठिन काम था। बावजूद इसके, सरकार ने इसे सफलतापूर्वक लागू किया, और अब लोग पुराने अप्रत्यक्ष करों को भूलने लगे हैं। अब सवाल यह है कि क्या आयकर में भी कुछ इसी तरह का बदलाव हो सकता है? यह संभावना मजबूत होती दिख रही है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में घोषणा की थी कि सरकार आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा करेगी। कई संकेत मिल रहे हैं कि सरकार आयकर प्रणाली को सरल और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए बड़े बदलाव कर सकती है।
न्यू टैक्स रिजीम को मिलेगा बढ़ावा
आयकर के क्षेत्र में सरकार ने पहले ही न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को लागू किया था, जो अब काफी लोकप्रिय हो चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में बताया था कि देश में 65 प्रतिशत से अधिक करदाता अब न्यू टैक्स रिजीम को अपना चुके हैं। इसका मतलब है कि लगभग हर तीन में से दो लोग अब इस प्रणाली के तहत अपना आयकर भुगतान कर रहे हैं। पहले, 2020 में न्यू टैक्स रिजीम को लागू करते वक्त लोग इसे अपनाने में हिचकिचा रहे थे, क्योंकि ओल्ड टैक्स सिस्टम उन्हें अधिक फायदेकारी लगता था। लेकिन अब न्यू टैक्स रिजीम को सरल और लाभकारी बनाने के लिए सरकार ने कई बदलाव किए हैं, जिनसे यह ज्यादा आकर्षक हो गया है। न्यू टैक्स रिजीम में पिछले कुछ समय में कई बदलाव किए गए हैं। जैसे कि, सरकार ने मानक कटौती (Standard Deduction) को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया था, जबकि ओल्ड टैक्स सिस्टम में यह सीमा अब भी ₹50,000 ही है। इसके अलावा, न्यू टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं, जिससे यह करदाता के लिए और भी आकर्षक हो गया है।
न्यू टैक्स रिजीम के लिए बदलाव
न्यू टैक्स रिजीम में वर्तमान में निम्नलिखित टैक्स स्लैब हैं:
- ₹0-₹3 लाख: शून्य टैक्स
- ₹3-₹7 लाख: 5%
- ₹7-₹10 लाख: 10%
- ₹10-₹12 लाख: 15%
- ₹12-₹15 लाख: 20%
- ₹15 लाख और उससे अधिक: 30%
अगले बजट में सरकार इस प्रणाली को और अधिक आकर्षक और लाभकारी बनाने के लिए इसे और संशोधित कर सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक, मानक कटौती (Standard Deduction) की सीमा को ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 किए जाने की संभावना है। इसके अलावा, 20 प्रतिशत टैक्स स्लैब को ₹12-15 लाख की आय से बढ़ाकर ₹12-20 लाख तक किए जाने का प्रस्ताव हो सकता है, जिससे खासतौर पर वह लोग जो ₹15-20 लाख तक कमाते हैं, उन्हें लाभ मिलेगा। यह बदलाव इनकम टैक्स में बड़े पैमाने पर बदलाव को बढ़ावा देगा और ओल्ड टैक्स सिस्टम के मुकाबले न्यू टैक्स सिस्टम को और मजबूत बनाएगा।
क्या ओल्ड टैक्स रिजीम हो सकता है समाप्त?
रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग न्यू टैक्स रिजीम को अपना लेते हैं, तो सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम को पूरी तरह से समाप्त करने पर विचार कर सकती है। इसके बाद, पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म करने का रास्ता साफ हो सकता है, क्योंकि यदि अधिकतर लोग नए सिस्टम को अपना चुके हैं, तो ओल्ड सिस्टम का बने रहना किसी अर्थ में गैरजरूरी हो सकता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए सरकार का उद्देश्य है कि टैक्सपेयर्स को एक सहज और समझने योग्य प्रणाली मिले, जहां वे अपनी बचत के बजाय निवेश को सही तरीके से करें और टैक्स बचाने के लिए बिना किसी जटिलता के निवेश के सर्वोत्तम रास्तों का चयन करें।
आयकर स्लैब में बदलाव की संभावना
अगले बजट में एक और बड़ा बदलाव टैक्स स्लैब में हो सकता है। सरकार ₹20 लाख से अधिक आय वाले लोगों पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने की संभावना पर विचार कर रही है। इसके तहत, जिन लोगों की आय ₹20 लाख या उससे अधिक है, उनके लिए 30 प्रतिशत टैक्स दर लागू हो सकती है। इससे इनकम टैक्स सिस्टम में सुधार होगा, और इसे लागू करने से आर्थिक स्थिति को भी बल मिलेगा, क्योंकि लोग अपनी बचत को खर्च करने के बजाय अपनी आय पर अधिक ध्यान देंगे, जिससे मांग में वृद्धि हो सकती है।
नए आयकर कानून पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, सरकार नए आयकर कानून को बजट सत्र में पेश करने पर विचार कर रही है। इस कानून का उद्देश्य मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 को हटाकर एक नया और सरल कानून लाना है, जो आम जनता और टैक्सपेयर्स के लिए समझने में आसान हो।
नए आयकर कानून में निम्नलिखित बदलाव संभव हैं
- कर कानून को आसान और सरल भाषा में लिखा जाए, ताकि आम आदमी इसे आसानी से समझ सके।
- पुराने और अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जाए।
- कर विवादों को कम किया जाए, ताकि टैक्सपेयर्स के लिए प्रणाली और सरल हो।
- टैक्सपेयर्स के लिए अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल और सुविधाजनक बनाया जाए।
- इन सुधारों के लिए 6,500 से ज्यादा सुझाव आयकर विभाग को प्राप्त हो चुके हैं, जो जनता और उद्योग जगत से प्राप्त किए गए हैं।
सेक्शन 80C के तहत कटौती सीमा में भी वृद्धि
इसके अलावा, विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार सेक्शन 80C के तहत आयकर में कटौती की सीमा को बढ़ा सकती है। फिलहाल, इस सीमा को ₹1.5 लाख तक रखा गया है, लेकिन महंगाई और वित्तीय दबाव को देखते हुए यह सीमा ₹2 लाख तक बढ़ाई जा सकती है, जिससे टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी। अगला बजट भारतीय आयकर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लेकर आ सकता है। सरकार का उद्देश्य आयकर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और समझने में आसान बनाना है। टैक्सपेयर्स को एक सहज, आकर्षक और प्रोत्साहक सिस्टम देने के लिए कई बड़े कदम उठाए जा सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में मदद करेंगे।