'बिना परीक्षा IAS' प्रणाली पर फिर चर्चा, जानिए कौन से देशों में पहले से है लेटरल एंट्री सिस्टम ?

Edited By Mahima,Updated: 19 Aug, 2024 12:43 PM

the of making ias without exam is in discussion again

लेटरल एंट्री सिस्टम एक बार फिर चर्चा में है, खासकर जब से कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसके तहत 45 अधिकारियों की नियुक्तियों का विरोध किया है। इस सिस्टम के अंतर्गत कुछ विशेषज्ञों को सीधे वरिष्ठ सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता है, बिना किसी...

नेशनल डेस्क: लेटरल एंट्री सिस्टम एक बार फिर चर्चा में है, खासकर जब से कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसके तहत 45 अधिकारियों की नियुक्तियों का विरोध किया है। इस सिस्टम के अंतर्गत कुछ विशेषज्ञों को सीधे वरिष्ठ सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता है, बिना किसी परीक्षा के। यह विवाद अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान के बाद बढ़ गया है, जिन्होंने कहा कि यह सिस्टम यूपीए के शासनकाल में शुरू हुआ था और इसका विस्तार भी उसी दौरान हुआ था। आइए जानते हैं कि यह लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है और इसके बारे में अन्य देशों में क्या प्रचलित है।

लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है?
लेटरल एंट्री सिस्टम के तहत, उम्मीदवारों को सीधे उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता है, जिन पर सामान्यत: आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति होती है। इसमें उम्मीदवारों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल नहीं होना पड़ता। इस प्रणाली के तहत, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सीधे उपसचिव, ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, या डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों पर नियुक्त किया जाता है। यह सिस्टम सरकारी प्रशासन में विशेष अनुभव और विशेषज्ञता लाने के उद्देश्य से लागू किया जाता है।

किन देशों में लागू है लेटरल एंट्री?
भारत के अलावा, कई अन्य देश भी लेटरल एंट्री सिस्टम का उपयोग करते हैं। इनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और स्पेन शामिल हैं। अमेरिका में, लेटरल एंट्री का एक स्थायी हिस्सा है और वहां विभिन्न सरकारी पदों पर इसे लागू किया जाता है। हाल ही में, US Department of State ने मिड-करियर प्रोफेशनल्स के लिए एक नया लेटरल एंट्री पायलट प्रोग्राम शुरू किया है। कनाडा और यूके में भी इस सिस्टम का उपयोग होता है, हालांकि यूके में इसकी संख्या अपेक्षाकृत कम है और इसमें अच्छे प्राइवेट सेक्टर के अनुभव की आवश्यकता होती है।

लेटरल एंट्री के फायदे क्या हैं?
लेटरल एंट्री सिस्टम के कई फायदे बताए जाते हैं। यह सिस्टम सरकारी सेवाओं में विशेषज्ञता और अनुभव लाता है, जिससे कामकाज में सुधार और नई सोच की उम्मीद होती है। इससे ब्यूरोक्रेसी में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ती है, और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आती है। विशेषज्ञों का चयन इंटरव्यू के माध्यम से होता है, जिससे क्षेत्र में लंबा अनुभव रखने वाले लोग चुने जाते हैं।

भारत में लेटरल एंट्री की स्थिति
भारत में लेटरल एंट्री के माध्यम से कई नियुक्तियां की जा चुकी हैं। 2019 में 8, 2022 में 30, और 2023 में 37 पदों के लिए भर्ती की गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 63 नियुक्तियां की जा चुकी हैं और वर्तमान में 57 अधिकारी इन पदों पर तैनात हैं। इस प्रणाली की चर्चा और विवाद जारी हैं, और इसके कार्यान्वयन के तरीके पर लगातार विचार-विमर्श हो रहा है।

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