Edited By Mahima,Updated: 31 Mar, 2025 12:48 PM

नेपाल एकमात्र देश है जहां विक्रम संवत कैलेंडर को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया है। यहां के सारे सरकारी काम, बजट, वित्तीय वर्ष, शैक्षिक वर्ष, और चुनाव की तिथियां इस कैलेंडर के अनुसार तय होते हैं। नेपाल में नया साल बैशाख महीने के पहले दिन से शुरू...
नेशनल डेस्क: नेपाल, जो भारत का पड़ोसी और एक हिंदू बहुल देश है, दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां विक्रम संवत कैलेंडर को आधिकारिक कैलेंडर के रूप में अपनाया गया है। यह कैलेंडर नेपाल के सरकारी और प्रशासनिक कामकाज में पूरी तरह से उपयोग होता है, जबकि अधिकांश देशों में ग्रेगोरियन (अंग्रेजी) कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। विक्रम संवत, जो हिंदू कैलेंडर का हिस्सा है, भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है। यह कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से लगभग 57 साल आगे चलता है। इस कैलेंडर का इस्तेमाल सबसे पहले भारत में किया गया था, लेकिन 1954 में भारत ने सरकारी कामकाज के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया था। हालांकि, नेपाल ने विक्रम संवत को ही आधिकारिक कैलेंडर के रूप में 1901 में लागू किया।
नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर के महत्व का असर पूरे देश के प्रशासनिक और सांस्कृतिक जीवन पर दिखाई देता है। नेपाल के सरकारी बजट, वित्तीय वर्ष, शैक्षिक वर्ष, चुनाव की तारीखें, राष्ट्रीय छुट्टियां और यहां तक कि त्योहार भी इस कैलेंडर के आधार पर तय होते हैं। विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार नेपाल का नया साल बैशाख महीने के पहले दिन से शुरू होता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से आमतौर पर 13 से 15 अप्रैल के बीच आता है।
इसके अलावा, नेपाल में सरकारी अवकाश, जैसे कि नया साल, होली, दशहरा, दीपावली, और अन्य हिंदू त्योहारों के दिन भी विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार तय होते हैं। विक्रम संवत का अनुसरण करने के कारण नेपाल का सार्वजनिक और निजी जीवन हिंदू संस्कृति और परंपराओं से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। यह कैलेंडर न केवल धार्मिक कार्यों के लिए, बल्कि सरकारी और प्रशासनिक कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर का यह प्रभाव केवल सरकारी क्षेत्र तक सीमित नहीं है। नेपाल के नागरिक, व्यापारी, और समाज के अन्य वर्ग भी इसी कैलेंडर के अनुसार अपने व्यक्तिगत जीवन की योजना बनाते हैं। यहां के स्कूलों और कॉलेजों में भी शैक्षिक वर्ष की शुरुआत विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार होती है। भारत में, भले ही हिंदू कैलेंडर को धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन यहां सरकारी कामकाज और आधिकारिक कार्यों के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन किया जाता है। भारतीय सरकार ने 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के दौरान अंग्रेजी कैलेंडर को आधिकारिक कैलेंडर के रूप में अपनाया था, लेकिन इसके बावजूद भारत में त्योहारों और पारंपरिक कार्यों के लिए हिंदू कैलेंडर का इस्तेमाल आज भी होता है।
जानिए क्या है नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर का आधिकारिक महत्व
नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर को आधिकारिक रूप से 1901 में लागू किया गया था। उस समय राणा वंश ने इसे सरकारी कैलेंडर के रूप में स्वीकार किया था। इस कैलेंडर के आधार पर नेपाल में न केवल त्यौहारों की तिथियां तय की जाती हैं, बल्कि देश के सरकारी कामकाज जैसे कि बजट, वित्तीय वर्ष, चुनाव की तिथियां, सरकारी छुट्टियां, और यहां तक कि शैक्षिक वर्ष भी तय होते हैं। नेपाल के सरकारी कामकाज में विक्रम संवत कैलेंडर की अहमियत इस हद तक है कि यहां तक कि चुनाव की तारीखें भी इसी कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। यही कारण है कि नेपाल का सरकारी जीवन पूरी तरह से इस कैलेंडर के इर्द-गिर्द घूमता है, और यह कैलेंडर उनकी राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा बन चुका है।
अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 13 से 15 अप्रैल के बीच
भारत और नेपाल के कैलेंडर में कुछ अंतर हैं। नेपाल में नया साल बैशाख महीने से शुरू होता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 13 से 15 अप्रैल के बीच आता है। वहीं, भारत में हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल में होती है। भारत में इस समय नवरात्रि का पर्व भी मनाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हालांकि, भारत में हिंदू कैलेंडर का उपयोग मुख्यतः धार्मिक कार्यों और पारंपरिक आयोजनों के लिए होता है, जबकि सरकारी कामकाज में ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन किया जाता है।
नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर को पूरी तरह से अपनाया गया है, और यह देश की संस्कृति, धर्म और परंपराओं को संजोने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। यहां के नागरिक, व्यापारी, सरकारी कर्मचारी और अन्य लोग सभी अपनी गतिविधियों की योजना इस कैलेंडर के अनुसार बनाते हैं। नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर का आधिकारिक तौर पर उपयोग यह दिखाता है कि इस देश ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को बनाए रखने के लिए इस कैलेंडर को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। जबकि भारत में इसे मुख्यतः धार्मिक कार्यों के लिए ही महत्व दिया जाता है, नेपाल ने इसे सरकारी और प्रशासनिक कामकाज में भी पूरी तरह से अपनाया है। इससे यह साबित होता है कि नेपाल अपनी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने के लिए विक्रम संवत कैलेंडर को एक महत्वपूर्ण घटक मानता है।