लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक प्रो-टेम स्पीकर संभालेगा सदन, कांग्रेस नेता को भी मिल सकती है ये जिम्मेदारी

Edited By Mahima,Updated: 21 Jun, 2024 10:47 AM

the pro tem speaker will handle the house until the lok sabha speaker is elected

18 वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरु होने जा रहा है। इस सत्र के दौरान सदन के लिए नया स्पीकर भी चुना जाना है। ऐसा कहा जा रहा है अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 26 जून को हो सकता है, लेकिन इससे पहले सदन की कार्यवाही चलाने के लिए प्रो-टेम स्पीकर को...

नेशनल डेस्क: 18 वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरु होने जा रहा है। इस सत्र के दौरान सदन के लिए नया स्पीकर भी चुना जाना है। ऐसा कहा जा रहा है अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 26 जून को हो सकता है, लेकिन इससे पहले सदन की कार्यवाही चलाने के लिए प्रो-टेम स्पीकर को संभालेगा। सूत्रों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा के सबसे पुराने मेंबर कांग्रेस नेता कोडिकुन्निल सुरेश प्रो-टेम स्पीकर का पद संभाल सकते हैं। कोडिकुन्निल सुरेश अब तक 7 बार सांसद बन चुके हैं। साथ ही साल 2012 से 2014 तक सेंटर के श्रम मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे के सुरेश, केरल की मवेलिक्कारा सीट पर साल 1989 से जीतते आए हैं। प्रोटेम स्पीकर पद के लिए फग्गन सिंह कुलस्ते, राधामोहन सिंह, भर्तृहरि महताब और  मनसुखभाई वसावा का नाम भी चर्चा में है।

क्या होता है प्रो-टेम स्पीकर
प्रो-टेम अध्यक्ष को लोकसभा का पीठासीन अधिकारी भी कहा जा सकता है। उसे रोजमर्रा की कार्यवाही करवानी होती है। वह नए अध्यक्ष के चुनाव तक सारी जिम्मेदारियां निभाएगा, यहां तक कि नए सदस्यों को शपथ भी दिलाएगा। हालांकि प्रो-टेम एक अस्थाई ओहदा है। ये तब तक काम करता है जब तक कि सदन का नया अध्यक्ष न चुन लिया जाए। बता दें कि स्पीकर का चुनाव बहुमत से होता है।
संविधान में प्रो-टेम का जिक्र नहीं है, लेकिन संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर ऑफिशियल हैंडबुक में प्रो-टेम अध्यक्ष की नियुक्ति और शपथ ग्रहण पर बात की गई है। इसके अनुसार नई लोकसभा के गठन से पहले जब स्पीकर का पद खाली रहता है, उस दौरान अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारियां सदन का ही एक सदस्य उठाएगा। राष्ट्रपति खुद उसे अस्थाई अध्यक्ष का जिम्मा देता है। इसके बाद ही सदस्य शपथ ग्रहण करते हैं।

ऐसे होता है प्रो-टेम स्पीकर का चुनाव
इसका सीधा नियम ये है कि लोकसभा के सबसे सीनियर सदस्य को स्पीकर का ये अस्थाई पद दिया जाए। यहां वरिष्ठता का मतलब सदन में सदस्यता से है। सरकार बनने के साथ ही चूंकि अध्यक्ष पद खाली हो चुका होता है, तो भारत सरकार का लेजिस्लेटिव सेक्शन एक लिस्ट तैयार करता है। इसमें उन सारे सदस्यों के नाम होते हैं जो सदन में सबसे वरिष्ठ हों। यह सूची संसदीय कार्य मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजी जाती है ताकि एक सांसद प्रोटेम चुना जा सके। पी.एम. की रजामंदी के बाद संसदीय कार्य मंत्री भी इस पर मुहर लगाते हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति को ये नाम देते हुए उनसे स्वीकृति मांगी जाती है। प्रेसिडेंट ही राष्ट्रपति भवन में प्रो-टेम को लोकसभा की अस्थाई अध्यक्षता की शपथ दिलाते हैं।

अध्यक्ष की तरह नहीं होती हैं मौलिक शक्तियां
प्रो-टेम स्पीकर के पास अध्यक्ष की तरह मौलिक शक्तियां नहीं होती हैं। संसद की तरह ही विधानसभा के लिए भी ट्रांजिशन के समय इनकी नियुक्ति होती है, यानी जब एक विधानसभा खत्म होकर नई विधानसभा शुरू हो रही हो। ऐसे में अस्थाई अध्यक्ष जरूरी हो जाता है। संसद से अलग, यहां प्रो-टेम की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं। अध्यक्ष आम सहमति से चुना जाता रहा, लेकिन इस बार कयास लग रहे हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस अहम पद के लिए लड़ाई करेंगे। दरअसल विपक्ष की मांग है कि चूंकि वे भी ताकतवर हैं तो सदन में उनके सदस्य को डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाए।

अगर ऐसा नहीं होता है तो उस सूरत में स्पीकर पद के लिए विपक्ष भी अपना सदस्य उतारेगा। चुनाव नतीजे आने के बाद से लगातार स्पीकर के पद की बात हो रही है। ये पद है भी काफी शक्तिशाली और सदन का सबसे प्रमुख व्यक्ति स्पीकर ही होता है। सदन में स्पीकर की मंजूरी के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। स्पीकर को सदन की मर्यादा और व्यवस्था बनाए रखनी होती है। अगर ऐसा नहीं होता है तो वो सदन को स्थगित कर सकते हैं या फिर निलंबित कर सकते हैं। इतना ही नहीं, मर्यादा का उल्लंघन करने वाले सांसदों को भी स्पीकर निलंबित कर सकते हैं।

स्पीकर पद के लिए चल रही इन नामों की चर्चा
लोकसभा स्पीकर पद को लेकर अभी कई नामों पर चर्चा चल रही है। ओम बिरला को फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनने की भी चर्चा है। राजस्थान में कोटा लोकसभा क्षेत्र से ओम बिरला ने जीत दर्ज की है। स्पीकर पद के लिए डी. पुरंदेश्वरी, राधा मोहन सिंह और भर्तृहरि महताब के नाम की भी चर्चा है। बिहार से आने वाले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह छठी बार सांसद चुने गए हैं।  डी. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश में भाजपा की राज्य इकाई की प्रमुख हैं और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेता रहे एनटी रामाराव (एनटीआर) की बेटी हैं।

वह तेलुगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) प्रमुख और सीएम चंद्रबाबू नायडू की रिश्तेदार भी हैं। ऐसे में अगर भाजपा उनके नाम का चुनाव करती है तो टी.डी.पी. को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। पुरंदेश्वरी पहले कांग्रेस में थीं, लेकिन 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह राजमुंदरी से सांसद चुनी गई हैं। भर्तृहरि महताब ओडिशा भाजपा के नेता हैं। पहले वह बीजू जनता दल (बीजद) से लंबे समय तक जुड़े रहे थे। इस बार भाजपा ने ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन किया है और राज्य में भाजपा की पहली बार सरकार बनी है। ऐसे में हो सकता है कि स्पीकर के चुनाव में ओडिशा को तरजीह मिले। कांग्रेस सांसद के. सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। 18वीं लोकसभा के लिए नवनिर्वाचित सांसदों को पहले दो दिनों तक शपथ दिलाई जाएगी। शपथ के लिए प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त किया गया है।

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