Edited By Radhika,Updated: 31 Dec, 2024 12:22 PM
साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए नए- नए तरीके ढूंढ रहे हैं। RBI ने इस साइबर धोखाधड़ी से बचाने के लिए प्रभावी पहल की है। अभी तक RTGS व NEFT के जरिये पैसे ट्रांसफर करते समय अकाउंट नंबर और लाभार्थी का नाम स्वयं डालना पड़ता था।
नेशनल डेस्क: साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए नए- नए तरीके ढूंढ रहे हैं। RBI ने इस साइबर धोखाधड़ी से बचाने के लिए प्रभावी पहल की है। अभी तक RTGS व NEFT के जरिये पैसे ट्रांसफर करते समय अकाउंट नंबर और लाभार्थी का नाम स्वयं डालना पड़ता था। एक अप्रैल से अकाउंट नंबर डालते ही लाभार्थी का नाम शो होगा। इससे डिजिटल अरेस्ट हुए व्यक्ति को पता लग जाएगा कि वह किसके खाते में पैसा डाल रहा है।
केंद्रीय बैंक ने साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए एक नई प्रणाली बनाने के लिए National Payments Corporation of India (NPCI) से कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सोमवार को RBI से कहा था कि वह RTGS व NEFT जैसे भुगतान तरीकों में लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की व्यवस्था लागू करें। RBI ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि सभी बैंक, जो RTGS व NEFT सिस्टम का हिस्सा हैं, उन्हें 1 अप्रैल 2025 से पहले यह सुविधा अपने ग्राहकों को देना होगा। इससे ग्राहकों को सुरक्षित लेन-देन की सुविधा मिलेगी।
वर्तमान में, यूपीआई और इमीडिएट पेमेंट्स सर्विस (आईएमपीएस) सिस्टम पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी का नाम सत्यापित करने की सुविधा प्रदान करते हैं। अब, आरटीजीएस और एनईएफटी जैसे भुगतान सिस्टम में भागीदार बैंक भी ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के जरिए यह सुविधा देंगे। इसका मतलब है कि ग्राहक अब इन तरीकों से पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी का नाम आसानी से चेक कर सकेंगे, जिससे धोखाधड़ी से बचा जा सकेगा।