Edited By Parveen Kumar,Updated: 06 Feb, 2025 08:38 PM
इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने एक नई रिसर्च में पाया है कि कोविड-19 का इलाज करवा चुके लोगों में अल्जाइमर बीमारी से जुड़े बायोमार्कर के स्तर में वृद्धि होने की संभावना अधिक होती है।
नेशनल डेस्क : इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने एक नई रिसर्च में पाया है कि कोविड-19 का इलाज करवा चुके लोगों में अल्जाइमर बीमारी से जुड़े बायोमार्कर के स्तर में वृद्धि होने की संभावना अधिक होती है। खासकर गंभीर कोविड-19 से अस्पताल में भर्ती रहे मरीजों में यह प्रभाव अधिक देखा गया।
एमिलॉयड प्रोटीन, जो शरीर में कई कामों के लिए जिम्मेदार होता है, उसके असामान्य रूप का निर्माण कई बीमारियों का कारण बन सकता है। शोध के अनुसार, हल्के या मध्यम कोविड-19 के बाद बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं में बदलाव आ सकता है, जो मस्तिष्क में एमिलॉयड के निर्माण को बढ़ावा देता है, जिससे अल्जाइमर का खतरा बढ़ सकता है।
अल्जाइमर एक मस्तिष्क संबंधित बीमारी है, जो दिमाग के कोशिकाओं को नष्ट करती है और इसके कारण याददाश्त की हानि होती है। यह बीमारी सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे सामान्य कामकाज में मुश्किल होती है। कोविड-19 के कारण मस्तिष्क पर पड़ने वाला असर इस बीमारी के जोखिम को और बढ़ा सकता है।
कोविड-19 के बाद लोगों को मानसिक भ्रम, सिर दर्द, चक्कर आना और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ये लक्षण कोरोना और अल्जाइमर के बीच संभावित संबंध को दर्शाते हैं।
अल्जाइमर एंड डिमेंशिया जर्नल में कोविड-19 और अल्जाइमर के बीच संबंध को लेकर एक समीक्षा प्रकाशित की गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार, 60 साल की उम्र के आसपास इस बीमारी के लक्षणों की शुरुआत होती है। हालांकि, ज्यादातर लोग कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय में उन्हें डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
विभिन्न देशों और संगठनों के विशेषज्ञ इस संबंध की जांच कर रहे हैं, ताकि दिमाग पर कोविड-19 के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके।