Edited By Pardeep,Updated: 30 Jan, 2025 05:04 AM
केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के गोला-बारूद खरीदने की मंजूरी दे दी है।
नेशनल डेस्कः केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के गोला-बारूद खरीदने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में लिया गया।
गोला-बारूद की खरीद और आपूर्ति
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना के तहत भारतीय सेना के लिए विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद खरीदे जाएंगे। इनमें से कुछ हथियार सामग्री नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज से और कुछ म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL) से प्राप्त की जाएगी। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 13 जनवरी को अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि पिनाका रॉकेट प्रणाली के लिए दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इनमें से एक अनुबंध 5,700 करोड़ रुपये और दूसरा 4,500 करोड़ रुपये का है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इन अनुबंधों को मंजूरी दे देगी।
पिनाका की मारक क्षमता और विकास
पिनाका रॉकेट प्रणाली की मारक क्षमता 45 किमी है, जो पाकिस्तान और चीन दोनों सीमाओं पर भारतीय सेना के लिए अत्यधिक प्रभावी है। इसके अलावा, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) पिनाका रॉकेट प्रणाली के लिए 120 किमी तक मारक क्षमता वाले रॉकेट विकसित करने के अंतिम चरण में है। जैसे ही इन रॉकेट्स में लंबी रेंज का विकास पूरा होता है, भारतीय सेना पिनाका प्रणाली पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगी और अन्य लंबी दूरी के वैकल्पिक हथियारों से दूर जाएगी।
पिनाका का विकास और निर्यात
पिनाका रॉकेट प्रणाली कई वेरिएंट्स में उपलब्ध है और 75 किमी से अधिक की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकता है। इसकी प्रभावी मारक क्षमता और सटीकता ने इसे वैश्विक बाजार में भी पहचान दिलाई है। आर्मेनिया ने पहले ही पिनाका रॉकेट प्रणाली का ऑर्डर दिया है और इसके अलावा कई यूरोपीय देशों खासकर फ्रांस ने भी इसमें रुचि दिखाई है। पिनाका एमबीआरएल का विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया है और इसका उत्पादन भारत की प्रमुख कंपनियां जैसे सोलर इंडस्ट्रीज, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड मिलकर कर रही हैं।
कारगिल युद्ध में पिनाका का योगदान
पिनाका रॉकेट सिस्टम की सटीकता और प्रभावशीलता का एक प्रमुख उदाहरण 1999 के कारगिल युद्ध में देखा गया था। इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पिनाका मार्क-1 संस्करण का इस्तेमाल किया था, जिसने पाकिस्तानी सैनिकों की पहाड़ी चौकियों को सटीकता के साथ निशाना बनाया और दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। इस प्रणाली ने युद्ध में भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त बनाई थी।
भारत की सैन्य तैयारी और स्वदेशी विकास
पिनाका रॉकेट सिस्टम का स्वदेशी विकास भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली न केवल भारतीय सीमा सुरक्षा को मजबूत करती है बल्कि भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस प्रणाली का निर्यात भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती साख का प्रतीक है और यह भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित कर सकता है।
सीसीएस द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारतीय सेना के पास एक और प्रभावी और सक्षम हथियार प्रणाली होगी जो सीमा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पिनाका रॉकेट प्रणाली के विकास और विस्तार से भारतीय सेना की क्षमता में और वृद्धि होगी, खासकर उन इलाकों में जहां दुश्मन की गतिविधियां अधिक होती हैं।