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साल भर बंद रहने वाला वो मंदिर जहां शिवलिंग की जगह होती है बरगद के पेड़ की पूजा, जानें इसके पीछे की रहस्यमय Story!

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Feb, 2025 10:24 AM

the temple where banyan tree is worshiped instead of shivling

तमिलनाडु राज्य के तंजावुर जिले में स्थित बोडू अवुदैयार मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यमय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर साल भर बंद रहता है और केवल कार्तिक माह के सोमवार को ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव का एक...

नेशनल डेस्क। तमिलनाडु राज्य के तंजावुर जिले में स्थित बोडू अवुदैयार मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यमय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर साल भर बंद रहता है और केवल कार्तिक माह के सोमवार को ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव का एक रूप प्रकट हुआ था और तब से यह स्थान पूजा का प्रमुख केंद्र बन गया है।

बरगद के पेड़ की पूजा

इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने की बजाय एक बड़े बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। लोग मानते हैं कि यह पेड़ भगवान शिव का रूप है और इसे श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है। पूजा के दौरान इस पेड़ के पत्तों और पवित्र जल को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

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मंदिर के नाम के पीछे रोचक कहानी

बोडू अवुदैयार मंदिर का नाम कैसे पड़ा इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहते हैं कि दो महान ऋषि – वंगगोबर और महागोबर – ध्यान में थे और चर्चा कर रहे थे कि ईश्वर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है: गृहस्थ जीवन या संन्यास? तभी भगवान शिव श्वेत कपास के वृक्ष के नीचे प्रकट हुए और ऋषियों को संदेश दिया कि सच्चे सिद्धांतों का पालन करने वाला व्यक्ति न तो किसी से श्रेष्ठ है और न ही किसी से कम। इसी कारण से मंदिर के देवता को ‘पोट्टू अवुदैयार’ और ‘मथ्यपुरीश्वर’ भी कहा जाता है।

 

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कार्तिक माह में खोलते हैं मंदिर के पट

यह मंदिर पूरे साल बंद रहता है और केवल कार्तिक माह के सोमवार को ही इसका दरवाजा खोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव अपने अनुयायियों के साथ इस मंदिर में बरगद के पेड़ के नीचे आए थे और बाद में उसी पेड़ में विलीन हो गए। इसी कारण हर साल इस दिन मध्य रात्रि में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और विशेष पूजा की जाती है।

 

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मंदिर में अनोखा दान

मंदिर में कार्तिक माह के आखिरी सोमवार को हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं और उन्हें विभिन्न वस्तुएं अर्पित करते हैं। भक्तगण भगवान शिव को सोना, चांदी, पीतल, पैसे, चावल, दाल, उड़द, मसूर, तिल, नारियल, आम, इमली, मिर्च और सब्जियां चढ़ाते हैं। कुछ भक्त भगवान शिव को बकरे और मुर्गे भी चढ़ाते हैं ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और उनकी इच्छाएं पूरी हों।

इस प्रकार बोडू अवुदैयार मंदिर तमिलनाडु की एक विशेष धार्मिक जगह है जहां परंपरा, विश्वास और अनोखी पूजा की विधि श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

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