Edited By Mahima,Updated: 25 Jan, 2025 10:17 AM
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। राणा पर मुंबई हमलों में प्रमुख भूमिका निभाने का आरोप है। कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, जिससे भारत को उसे प्रत्यर्पित करने का रास्ता साफ...
नेशनल डेस्क: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने राणा की दोषसिद्धि के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले से भारत को बड़ी राहत मिली है क्योंकि वह राणा को 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए अभियोजन के लिए भारत लाने की कोशिश कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
तहव्वुर राणा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही अमेरिका की विभिन्न अदालतों में अपनी रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी थी। उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसमें उसे दोषी ठहराए जाने का विरोध किया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया और उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। फिलहाल, राणा लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।
तहव्वुर राणा का आतंकवाद में गहरा संबंध
तहव्वुर राणा का नाम 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में प्रमुख रूप से जुड़ा है। मुंबई पुलिस ने इस हमले के संबंध में अपनी चार्जशीट में राणा का नाम शामिल किया था और उस पर आरोप लगाया था कि उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकवादी संगठन के साथ मिलकर काम किया था। राणा ने डेविड हेडली, जो इस हमले का मास्टरमाइंड था, की मदद की थी। उसने हेडली को मुंबई में आतंकी हमले के लिए प्रमुख स्थानों की पहचान करने में सहायता की थी, जिनका बाद में लश्कर के आतंकवादियों ने निशाना बनाया।
डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है राणा
तहव्वुर राणा, डेविड हेडली के बचपन के दोस्त थे। डेविड हेडली, जो एक अमेरिकी नागरिक है और पाकिस्तानी मूल का है, का नाम भी 26/11 हमलों में प्रमुख भूमिका निभाने के कारण दुनियाभर में कुख्यात हो चुका है। हेडली और राणा दोनों ही पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में पढ़ाई करते थे, जहां से दोनों की दोस्ती शुरू हुई थी। हेडली को 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया गया था और 2013 में उसे 26/11 हमलों में अपनी भूमिका के लिए 35 साल की सजा सुनाई गई थी। राणा ने अपने जीवन के कुछ वर्ष पाकिस्तान में बिताए और फिर वह कनाडा चला गया, जहां उसने कंसल्टेंसी फर्म 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' की शुरुआत की। मुंबई में उसकी कंपनी की शाखा भी थी, जिससे हेडली को मुंबई में हमले के लिए स्थलों की रेकी करने में मदद मिली थी।
आतंकियों ने शहर के 9 प्रमुख स्थानों पर किया हमला
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसकर आतंक मचाया। आतंकियों ने शहर के 9 प्रमुख स्थानों पर हमला किया, जिनमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, ताज होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और नरीमन हाउस जैसे प्रसिद्ध स्थान शामिल थे। आतंकियों ने न केवल स्थानीय लोगों को निशाना बनाया, बल्कि विदेशियों को भी मौत के घाट उतार दिया। इस हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। हमले में 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। मुंबई पुलिस और भारतीय सुरक्षा बलों ने 28 नवंबर की सुबह तक, ताज होटल को छोड़कर सभी स्थानों को सुरक्षित कर लिया था। ताज होटल में आतंकियों को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (NSG) की मदद लेनी पड़ी। NSG ने 29 नवंबर को 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' लॉन्च किया, जो ताज होटल में छिपे आतंकवादियों को मारने के बाद समाप्त हुआ।
तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए कई सालों से दबाव बना रखा था, क्योंकि वह 26/11 हमलों में प्रमुख भूमिका निभाने के बावजूद अमेरिका में रहा था। अब जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है। राणा के खिलाफ भारत में मुकदमा चलाया जाएगा, और मुंबई हमलों के दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
क्या होता है प्रत्यर्पण?
प्रत्यर्पण एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत एक व्यक्ति को एक देश से दूसरे देश को भेजा जाता है, ताकि उस पर वहां के कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सके। तहव्वुर राणा के मामले में, भारत ने अमेरिका से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी, ताकि उसे मुंबई हमलों के दोषी के रूप में भारतीय अदालत में पेश किया जा सके। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसके पक्ष में फैसला दिया है, तो राणा का प्रत्यर्पण जल्द ही हो सकता है।