Edited By Mahima,Updated: 19 Sep, 2024 10:06 AM
हटा ब्लॉक के वर्धा गांव में अंतिम संस्कार और शादी के खर्च में गांव के लोग मिलकर मदद करते हैं। यहां कोई भी परिवार लकड़ी खरीदने की चिंता नहीं करता; सभी मिलकर योगदान देते हैं। शादी में दहेज से लेकर बारात के खाने तक का खर्च साझा किया जाता है। आदिवासी...
नेशनल डेस्क: हटा ब्लॉक का वर्धा गांव एक अद्भुत परंपरा के लिए जाना जाता है, जहां गांव के लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में हमेशा खड़े रहते हैं। इस गांव में 300 से ज्यादा कच्चे घर हैं, लेकिन यहां रहने वाले लोगों के रिश्ते बेहद मजबूत और गहरे हैं। खासकर जब बात आती है अंतिम संस्कार की, तो गांव के सभी लोग एकजुट होकर परिवार का सहारा बनते हैं।
अंतिम संस्कार में सहयोग की परंपरा
वर्धा गांव में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी खरीदने की चिंता नहीं करनी पड़ती। गांव के लोग मिलकर एक-दूसरे के घर से एक या दो लकड़ी लेकर आते हैं, जिससे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सरल और सस्ती हो जाती है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है, और गांव के लोग इसे गर्व से निभाते हैं। चौरईया गांव के आदिवासी पंचम और बटियागढ़ के मोहन ने बताया कि जब कोई मृत्यु होती है, तो पूरा गांव उस परिवार के साथ होता है। वे तेरहवीं तक उस परिवार के काम में हाथ बंटाते हैं और यदि अस्थि विसर्जन के लिए पैसे नहीं होते, तो उसकी भी सहायता करते हैं।
शादी में सहयोग की परंपरा
जब किसी की बेटी की शादी होती है, तो दहेज और शादी के खर्च का बोझ भी गांव के लोग मिलकर उठाते हैं। इस परंपरा में गांव के सभी घरों से लोग एकजुट होकर मदद करते हैं। शादी के लिए जरूरी सामान, जैसे बर्तन, कपड़े और खाना, सभी मिलकर तैयार करते हैं। सुंदर आदिवासी, शिवलाल, और मोहन ने कहा कि आदिवासी समुदाय की यह एकता और सहयोग की भावना उनके संबंधों को और मजबूत बनाती है। शादी के दौरान बारात का खाना भी गांव के लोग मिलकर बनाते हैं, जिससे यह सामूहिकता का उदाहरण बन जाता है।
सामाजिक विकास की पहल
इस गांव में आदिवासी युवा शक्ति जयस के प्रदेश संगठन मंत्री श्रीकांत पोरते ने समाज के विकास के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज को शिक्षित करने के लिए नि:शुल्क कोचिंग सुविधाएं शुरू की गई हैं। इससे युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार होने का मौका मिलता है। इसके साथ ही, महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई में सशक्त बनाने की योजना भी चल रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें।
गांव की एकता का महत्व
वर्धा गांव की यह अनोखी परंपरा हमें यह सिखाती है कि जब लोग एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं। सुख और दुख के क्षणों में एक-दूसरे का सहारा बनना केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी मानवीय भावना है। इस प्रकार की सामुदायिक सहायता न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूत बनाती है।