Edited By Radhika,Updated: 05 Mar, 2025 04:11 PM

Supreme Court ने बीते दिन एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक पुरुष के खिलाफ चल रहे केस को कैंसिल करने का फैसला दिया है। SC का कहना है कि यह यकीन करना मुश्किल है कोई महिला शादी के झूठे वादे पर यकीन करके किसी से 16 साल तक संबंध बनाए।
नेशनल डेस्क: Supreme Court ने बीते दिन एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक पुरुष के खिलाफ चल रहे केस को कैंसिल करने का फैसला दिया है। SC का कहना है कि यह यकीन करना मुश्किल है कोई महिला शादी के झूठे वादे पर यकीन करके किसी से 16 साल तक संबंध बनाए। कोर्ट का कहना है कि ये मामला सहमति से संबंध या लिव-इन रिलेशनशिप का है, जिसे अब रेप का नाम देकर केस दर्ज करवाया गया है।
SC ने सुनाया ये फैसला-
SC का कहना है कि अगर एक महिला एक लंबे समय तक किसी के साथ लिव इन में रहती है तो वो अपने पार्टनर पर संबंध बनाने का आरोप नहीं लगा सकती। जानकारी के लिए बता दें कि एक बैंक अफसर पर रेप का आरोप लगा था। उसकी लिव-इन पार्टनर एक लेक्चरर हैं। बीते 16 सालों से पार्टनर उसे शादी का झांसा देकर संबंध बनाता रहा। कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने महिला की दलील न सुनते हुए इस केस को खारिज कर दिया है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि दोनों पढ़े-लिखे हैं और ये रिश्ता उनकी मर्जी से था।
कोर्ट ने कहा-
कोर्ट ने कहा, 'यह विश्वास करना कठिन है कि शिकायतकर्ता लगभग 16 वर्षों की अवधि तक अपीलकर्ता की मांगों के आगे झुकती रही, बिना कभी कोई विरोध किए कि अपीलकर्ता शादी के झूठे वादे के बहाने उसका यौन शोषण कर रहा था। 16 वर्षों की लंबी अवधि, जिसके दौरान पार्टियों के बीच यौन संबंध निर्बाध रूप से जारी रहे, यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है कि रिश्ते में कभी भी बल या छल का तत्व नहीं था।'
कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में भले ही मान लिया जाए कि झूठा वादा किया गया था, लेकिन इतने लंबे समय तक संबंध जारी रहने से महिला की दलील कमज़ोर हो जाती है। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक चुप रहना बिल्कुल समझ से बाहर है। सच में अगर उसके साथ धोखा हुआ था तो इतने सालों तक रिश्ते क्यों निभाए?