Edited By Rahul Rana,Updated: 22 Dec, 2024 12:20 PM
भारत के बारे में जानने और समझने की रुचि दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है। 2000 के दशक की शुरुआत में जब चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी तो उस पर कई किताबें लिखी गईं। अब जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है तो इसे लेकर भी काफी दिलचस्पी है। इसी...
नेशनल डेस्क। भारत के बारे में जानने और समझने की रुचि दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है। 2000 के दशक की शुरुआत में जब चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी तो उस पर कई किताबें लिखी गईं। अब जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है तो इसे लेकर भी काफी दिलचस्पी है। इसी बीच जर्मनी के पूर्व राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने भारत पर एक किताब लिखी है। यह किताब उस समय की है जब वह 2019 से 2022 तक भारत में जर्मन राजदूत रहे। इससे पहले वे जर्मन विदेश मंत्रालय में राज्य सचिव भी रह चुके थे।
भारत से संबंध की शुरुआत
लिंडनर का भारत के साथ रिश्ता 1970 के दशक में एक बैकपैकिंग ट्रिप से शुरू हुआ था। उस समय उन्होंने भारत का दौरा किया था और यहां की विविध संस्कृति को देखा था। वह भारतीय मीडिया के निशाने पर तब आए थे जब उन्हें दिल्ली की सड़कों पर लाल रंग की एंबेसडर कार में देखा गया था। इसके बाद उन्होंने भारत पर एक किताब लिखने का विचार किया जिसमें उन्होंने बताया है कि पश्चिम को भारत से क्या सीखना चाहिए।
भारत की सॉफ्ट पावर
वाल्टर जे लिंडनर अपनी किताब में बताते हैं कि भारत को उसकी सॉफ्ट पावर के लिए पहचाना जाता है। भारत की आध्यात्मिकता, संस्कृति, धर्म, संगीत और इतिहास ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। लिंडनर का कहना है कि अब भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे बड़ी हो गई है और इसलिए इसका महत्व सिर्फ सॉफ्ट पावर से कहीं अधिक है। यह एक ऐसा देश बन चुका है जिसकी राय और भागीदारी के बिना दुनिया आगे नहीं बढ़ सकती।
भारत का संतुलन बनाने में सफल होना
लिंडनर ने कहा कि आजकल दुनिया में कई राजनीतिक उथल-पुथल, युद्ध और संघर्ष चल रहे हैं। ऐसे में भारत ने महाशक्तियों के बीच संतुलन बनाने में सफलता हासिल की है। चाहे वह जल संकट का समाधान हो, बड़े शहरों का संचालन हो या प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई—इन सभी मुद्दों का समाधान भारत में मिल सकता है।
भारत की विदेश नीति की महत्वपूर्ण भूमिका
लिंडनर ने यह भी कहा कि भारत की विदेश नीति में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और इसने दुनिया में एक नई भूमिका निभाई है। विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध और गाजा संघर्ष के संदर्भ में भारत उन देशों में से एक है जिनकी सभी पक्षों तक अच्छी पहुंच है। भारत ने संतुलन बनाए रखते हुए दोनों पक्षों के साथ अपनी बात रखी और संवाद कायम रखा।
भारत का वैश्विक महत्व
भारत का वैश्विक महत्व अब स्पष्ट हो चुका है। लिंडनर ने कहा कि पश्चिमी देशों में अक्सर भारत पर दबाव डाला जाता है कि वह संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पश्चिमी देशों के साथ समान मतदान पैटर्न अपनाए। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पश्चिमी देशों में अक्सर दोहरे मापदंड होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को एक चतुर राजनीतिक रणनीति अपनानी चाहिए जो उसे गुटबाजी की राजनीति से दूर रखे।
अंत में बता दें कि लिंडनर की किताब में भारत की बदलती भूमिका और उसकी बढ़ती ताकत को लेकर एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। आज भारत न केवल सॉफ्ट पावर के रूप में बल्कि एक सशक्त और संतुलित वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है जो पूरी दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।